श्रीनगर : भारतीय सेना ने अपनी उच्च परंपराओं का कायम रखते हुए पाकिस्तानी सेना के एक अधिकारी की क्षतिग्रस्त कब्र का मरम्मत कराया है। सेना का कहना है कि शहीद चाहे किसी भी देश का हो, उसका सम्मान करना भारतीय सेना की परंपरा रही है। पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी की यह कब्र जम्मू-कश्मीर के नौगाम सेक्टर में मौजूद है। चिनार कमान ने कब्र की तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट की। इस पोस्ट के साथ सेना ने लिखा है, ‘भारतीय सेना की परंपरा एवं आचरण के अनुरूप सितार-ए-जुर्रत मेजर मोहम्मद शबीर खान की कब्र का मरम्मद कराया गया है। खान अग्रिम मोर्चे की लड़ाई में नौगाम सेक्टर में पांच मई 1972 को मारे गए।’
एक अन्य ट्वीट में चिनार कमान ने कहा, ‘सितार-ए-जुर्रत मेजर मोहम्मद शबीर खान की याद में, जिनका इंतकाल पांच मई 1972, हिजरी संवत 1630 में नौ सिख की जवाबी कार्रवाई में हुआ। भारतीय सेना का मानना है कि युद्ध में शहीद होने वाला सैनिक चाहे वह किसी भी देश का हो, वह सम्मान एवं आदर का हकदार होता है।' सेना का कहना है कि शहीद सैनिक चाहे वह किसी भी देश का हो, मौत के बाद वह सम्मान एवं आदर का हकदार है। भारतीय सेना इस विश्वास के साथ खड़ी है। यह भारतीय सेना द्वारा दुनिया को संदेश है।
जाहिर है कि भारतीय सेना हमेशा अपने उच्च परंपराओं का पालन करती है। दुनिया भर में भारतीय सेना की पहचान एक अनुशासित एवं पेशेवर बल के रूप में होती है। 1999 के कारगिल युद्ध के समय भी भारतीय सेना ने अपनी उदारता दिखाते एवं वियना संधि का पालन करते हुए पाकिस्तानी सैनिकों के शव लौटा दिए थे। दरअसल, कारिगल की चोटियों पर आतंकवादियों के साथ पाकिस्तानी सेना के नियमित सैनिक भी मौजूद थे। ये सैनिक आंतकवादियों की मदद कर रहे थे और भारतीय सेना की कार्रवाई में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सैनिक मारे गए।
दुनिया भर में शर्मसार होने से बचने के लिए पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को पहचानने और उनका शव लेने से इंकार कर दिया। इसके बाद भारतीय सेना ने इन सैनिकों का सम्मान करते हुए उनके शव को भारतीय सरजमीं में दफ्न किया। अपने सैनिकों के शव वापस नहीं लेने पर दुनियाभर में पाकिस्तान की काफी किरकिरी एवं जगहंसाई हुई।
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