हैदराबाद: पंजाब के माधापुर पुलिस थाना सीमा से चार साल पहले गुमशुदा होने के बाद गलती से पाकिस्तान की सीमा में पहुंच गए तेलंगाना के एक शख्स की चार साल बाद घर वापसी हुई है। यह व्यक्ति अप्रैल 2017 में भारतीय सीमा को पार कर पाकिस्तान पहुंच गया था, जहां अधिकारियों ने उसे हिरासत में ले लिया था। 31 मई 2021 को उसे रिहा किया गया और भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया।
इस शख्स का नाम प्रशांत बताया जा रहा है। उनके माता-पिता ने अपने बेटे की सुरक्षित रिहाई और स्वदेश वापसी सुनिश्चित कराने के लिए तेलंगाना सरकार और भारत सरकार को धन्यवाद दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने लापता व्यक्ति का पता लगाने के लिए हर संभव प्रयास किया। बाद में परिवार वालों को पता चला कि प्रशांत को पाकिस्तान में हिरासत में लिया गया है। उन्होंने तुरंत साइबराबाद पुलिस, तेलंगाना सरकार और भारत सरकार को इसकी सूचना दी।
तेलंगाना सरकार ने इस मसले को विदेश मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष उठाया, जिसके बाद उनकी रिहाई को लेकर कोशिशें तेज हुईं। पाकिस्तानी अधिकारियों ने प्रशांत को रिहा करते हुए 31 मई 2021 को भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया था, जिन्होंने उसे पंजाब के अटारी में माधापुर पुलिस स्टेशन के पुलिस निरीक्षक पी रवींद्र प्रसाद को सौंप दिया।
आईटी कर्मचारी प्रशांत की इच्छा निजी कारणों से स्विट्जरलैंड पहुंचने की थी। लेकिन इसके लिए उसके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे। वह किसी भी तरह से स्विट्लैंड पहुंच जाना चाहता था, भले ही इसके लिए उसे पैदल ही क्यों न चलना पड़े। उसने 11 अप्रैल, 2017 को ही घर छोड़ दिया था, जहां से वह राजस्थान के बीकानेर जाने के लिए ट्रेन में बैठ गया। वहां से वह बाड़ कूदकर पाकिस्तान की सीमा में चला गया।
पाकिस्तान में दूर तक जाने के बाद उसे पाकिस्तानी अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया। बाद में पाकिस्तान के अधिकारियों ने अवैध प्रवेश को लेकर उसके खिलाफ एक केस दर्ज किया। सजा की अवधि पूरी करने के बाद 31 मई 2021 को उसे रिहा कर दिया गया और पंजाब में अटारी सीमा पर भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया। बाद में सोमवार को उसे हैदराबाद ले जाया गया और उसके परिवार के सदस्यों को सौंप दिया गया।
घर वापसी के बाद विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय को धन्यवाद देते हुए प्रशांत ने कहा, 'उनकी वजह से ही मैं आज यहां हूं। मैंने वहां (पाकिस्तान) की स्थिति देखी है। मेरे जैसे कई लोग जेल में बंद हैं, जो हमारे देश के विभिन्न राज्यों से हैं। वे जासूस नहीं हैं, लेकिन वे उस क्षेत्र में प्रवेश करके वापस नहीं आ सके। मैंने इतनी जल्दी वापस पहुंचने की उम्मीद नहीं की थी और मैं अपने परिवार को फिर से देखकर बहुत खुश हूं।'
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