नई दिल्ली: कारगिल की पहाड़ी चोटियों पर भारतीय सैनिकों की शौर्य गाथा को 20 साल का वक्त बीत चुका है। देश उन वीर सपूतों को याद कर रहा है जिनके अप्रतिम साहस के आगे दुश्मनों के पांव चोटियों से उखड़ गए और अपनी जान देकर भी देश के मान- सम्मान की हिफाजत की। कारगिल युद्ध की कहानी भारतीय सेनाओं की विजय की कहानी है लेकिन इस युद्ध में भारत को अपने कई वीर जवानों को खोना पड़ा। युद्ध के बाद ऐसी कई कमियां नजर आईं जो अगर नहीं होतीं तो पाकिस्तान भारत के आगे कारगिल की चोटियों पर चंद दिन भी नहीं टिक पाता।
खैर, भारत ने पुरानी लड़ाई से सबक सीखा और कमियों को दुरुस्त किया गया। आज ऐसे कई आधुनिक हथियार और तकनीक सेना का हिस्सा हैं जो कारगिल जैसी पहाड़ी लड़ाई में दुश्मन को खदेड़ देने में सक्षम हैं। ऐसे में अगर आज पाकिस्तान कारगिल जैसा युद्ध करने की हिमाकत करता है तो वह भारत के आगे चंद दिन भी नहीं टिक पाएगा।
हमलावर हेलीकॉप्टर:
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने भारतीय वायुसेना को आदेश दिया कि वह चोटियों पर बैठे पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने में सेना की मदद करें और उनके ठिकानों को नेस्तोनाबूत करें और इसी के साथ भारतीय वायुसेना ने शुरु किया 'ऑपरेशन सफेद सागर।' यहां समस्या यह आई कि भारत के पास उस समय ऐसे हमलावर हेलीकॉप्टर नहीं थे जो कारगिल जैसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र में जाकर हमला कर सके। वायुसेना के पास फाइटर जेट थे लेकिन चोटियों पर इनसे हमला करने की अपनी परेशानी थी।
पहाड़ों पर हवाई हमले करने में विमानों को थोड़े ठहराव की जरूरत होती है क्योंकि ऊंची चोटियों पर चट्टानों के पीछे छिपे बंकरों पर बम गिराने के लिए थोड़ा समय चाहिए और इसलिए ऐसी लड़ाई में हेलीकॉप्टर थोड़े अहम हो जाते हैं। मैदानी इलाकों में लंबी दूरी से ही तेज रफ्तार से उड़ते फाइटर जेट्स को अपना निशाना नजर आ जाता है और इसलिए वह बिना किसी परेशानी के हमला कर सकते हैं लेकिन पहाड़ों पर ऐसा नहीं होता। हमलावर हेलीकॉप्टर ऐसे हथियार होते हैं जिन्हें दुश्मन के ठिकानों पर कहर बरपाने के लिए बनाया जाता है।
भारत ने बनाया लाइट कॉम्बैट अटैक हेलीकॉप्टर (एलसीएच)
अटैक हेलीकॉप्टर की कमी को दूर करने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने लाइट कॉम्बैट अटैक हेलीकॉप्टर (एलसीएच) तैयार किया है। कम वजन वाला यह हेलीकॉप्टर बेहद शक्तिशाली इंजनों से लैस है और यह सियाचिन में भी ऑपरेशन को अंजाम देने में सक्षम है। सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है जहां पर भारतीय सेना का नियंत्रण है और यह चीन और पाकिस्तान की सीमा के करीब है।
एलसीएच हेलीकॉप्टर ऊंचाईंयों पर रॉकेट, मिसाइल के अलावा गोलियां बरसाने में सक्षम है और कारगिल जैसी किसी भी लड़ाई में बेहद अहम भूमिका अदा कर सकता है।
'बोफोर्स' तोप से भी ज्यादा मारक हैं 'धनुष' और 'एम 777 हॉवित्जर'
कारगिल की लड़ाई में बोफोर्स तोप ने बाजी भारत के नाम की थी। इस ताकतवर तोप के आगे पाकिस्तानी घुसपैठियों का भारतीय क्षेत्र में टिके रहना मुश्किल हो गया था। आज भारत बोफोर्स को अपग्रेड करके धनुष जैसी तोप तैयार कर चुका है जिसकी मारक क्षमता बोफोर्स से भी ज्यादा है और इसका दागा गया गोला- बारूद भी अपेक्षाकृत ज्यादा ताकतवर है। इसके अलावा अमेरिका से एम 777 हॉवित्जर तोप को भी खरीदा गया है जो वजन में बेहद हल्की है और हेलीकॉप्टर की मदद से कम समय में पहाड़ी इलाकों में पहुंचाई जा सकती है।
इसरो के सैटेलाइट रखते हैं दुश्मन पर नजर
भारत ने कारगिल की लड़ाई के समय पाकिस्तानी सैनिकों के ठिकाने जानने के लिए अमेरिका से जीपीएस की मांग की थी जिसे अमेरिका ने ठुकरा दिया था। अब इसरो अपना स्वदेशी जीपीएस IRNSS तैयार कर रहा है और ऐसे कई आधुनिक सैटेलाइट भारत लॉन्च कर चुका है जिनकी नजरों से देश के दुश्मन नहीं बच सकते हैं।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।