नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की कुटिल हरकतें जारी हैं। उसकी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) सीमा पर अविश्वास बढ़ाने एवं तनाव पैदा करने वाली गतिविधियों से बाज नहीं आ रही है। सीमा पर उसने अपने सैन्याभ्यास में बढ़ोत्तरी की है। साथ ही वह यहां पर 'दोहरे इस्तेमाल' वाले गांव एवं सैनिकों के रहने के लिए ढांचे का निर्माण कर रहा है। यह बात पूर्वी सेना कमान के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने मंगलवार को कही। चीन की इस हरकत पर भारतीय सेना अलर्ट है।
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक एलएसी पर चीन की इन गतिविधियों को देखते हुए भारत ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। भारतीय सेना चीन की तरफ से होने वाली किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार है। सैन्य अधिकारी ने कहा कि सेना 'चिकेन नेक' इलाके में संभावित चीनी खतरे से निपटने के लिए तेजी से काम कर रही है। यही नहीं, सरकार अक्टूबर 2013 में हुए बॉर्डर डिफेंस कोऑपरेशन अग्रीमेंट (बीडीसीए) सहित मौजूद सीमा समझौतों की समीक्षा कर रही है। सरकार यह देखेगी कि पूर्वी लद्दाख में 17 महीने तक चले गतिरोध के मद्देनजर ये समझौते कितने प्रासंगिक हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने कहा कि भारतीय सेना सीमा पर द्विपक्षीय करारों एवं प्रोटोकॉल्स का पालन करती आई है और इसने कभी आक्रामक कार्रवाई नहीं की है। उन्होंने कहा, 'लेकिन पूर्वी लद्दाख में जो कुछ हुआ, इसे देखते हुए हमें भविष्य में कैसे आगे बढ़ना है, इस बारे में उच्च स्तर पर देखा-परखा जा रहा है।' पूर्वी क्षेत्र में 1,300 किलोमीटर से अधिक लंबी एलएसी पर भारतीय सेना की अभियानगत तैयारियों को देख रहे कमांडर ने यह भी कहा कि उसकी माउंटेन स्ट्राइक कोर अब पूरी तरह अभियान संचालन में है और इसने अन्य इकाइयों के साथ प्रामाणिक और एकीकृत प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
उन्होंने कहा, ‘इसकी सभी इकाइयों, लड़ाकू इकाइयों, युद्ध सहायता और साजो-सामान इकाइयां पूरी तरह से सुसज्जित हैं।’लेफ्टिनेंट जनरल पांडे ने भारत के समग्र सैन्य आधुनिकीकरण की जानकारी देते हुए बताया कि एकीकृत युद्ध समूह (आईबीजी) नामक नई लड़ाकू संरचनाओं को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है और ये इकाइयां अधिक प्रभावी दृष्टिकोण के साथ तेजी से कार्य करने में समक्ष हैं। आईबीजी में पैदल सेना, तोपखाने, वायु रक्षा, टैंक और रसद इकाइयां शामिल होंगी। इस नई व्यवस्था से खासकर चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर सेना की युद्ध लड़ने की क्षमताओं में सुधार की उम्मीद है।
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