नई दिल्ली: बारूदी सुरंग रोधी प्रणाली से लैस स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस आज नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाएगा। प्रोजेक्ट 28 के तहत बनाया गए इस युद्धपोत को थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे नौसेना में शामिल करेंगे। इस युद्धपोत में इस्तेमाल की गईं 90 फीसदी चीजें स्वदेशी हैं। यह समारोह आज विशाखापत्तनम में नौसेना डॉकयार्ड में होगा।
भारतीय नौसेना के इन-हाउस संगठन, नौसेना डिजाइन निदेशालय (DND) ने जहाज को डिजाइन किया है। यह गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता द्वारा बनाया गया है। रडार की पकड़ में नहीं आने वाला यह युद्धपोत नौसेना की ताकत में इजाफा करेगा। ये उन 4 पनडुब्बी रोधी युद्धपोतों में से आखिरी है जिनका निर्माण जीआरएसई ने परियोजना पी-28 के तहत इंडियन नेवी के लिए किया। ये पोत परमाणु, रासायनिक और जैविक युद्ध की स्थिति में भी काम करेगा।
इससे पहले श्रृंखला के तीन युद्धपोतों की आपूर्ति की जा चुकी है जो नौसेना के ईस्टर्न फ्लीट का हिस्सा है। ये आईएनएस कामरता, आईएनएस कदमट्ट और आईएनए किल्टान हैं। कवरत्ती की लंबाई 109 मीटर और चौड़ाई 12.8 मीटर है। ये अत्याधुनिक हथियारों, रॉकेट लॉचर्स, एकीकृत हेलीकॉप्टर्स और सेंसर से लैस है। ये 4 डीजल इंजनों से लैस है। इसका वजन 3250 टन है। इसका नाम लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती के नाम पर रखा गया है।
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