नई दिल्ली। किसी भी लड़ाई को जीतने के लिए हौसले की जरूरत होती है और उसके साथ ही हथियारों की। अगर किसी फौज के पास हौसला और हथियार दोनों हो तो हर एक अभियान में जीत निश्चित तौर पर होती है। भारतीय फौज दुनिया की पेशेवर फौजों में से एक है और उस फौज की ताकत में आईएनएस राजपूत का खास योगदान रहा है। 41 साल पहले 1980 में आईएनएस राजपूत को इंडियन नेवी का हिस्सा बनाया गया और अपने 41 साल के सफर में आईएनएस राजपूत ने राज करेगा राजपूत के आदर्श नारे को मुकम्मल उतारा।
आईएनएस राजपूत के 41 वर्ष
41 साल के शानदार सफर के साथ अब आईएनएस राजपूत यादों में रह जाएगा। लेकिन उससे जुड़ी कामयाबियों को जब हम जिक्र करते हैं तो देश का सीना चौड़ा हो जाता है। चार दशक के सफर में ना सिर्फ देश की सेवा में जीजान से लगा रहा, बल्कि मुश्किल के क्षणों में पड़ोसियों को भी मदद की।
INS Rajput का शानदार इतिहास
इस तरह से होती है डीकमिश्निंग
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक नौसेना के ध्वज और अंतिम कमीशनिंग पेनेंट को आईएनएस से उतार लिया जाएगा और उसे डीकमिशनिंग का प्रतीक कहा जाता है। 41 वर्ष के सेवाकाल में 31 कमांडिंग अफसरों ने अपनी जिम्मेदारी निभाई। 14 अगस्त 2019 को अंतिम कमांडिंग अफसर को जिम्मेदारी दी गई थी।
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