Women's Day 2020: 8 मार्च को क्यों मनाया जाता है अंतरराष्‍ट्रीय महिला द‍िवस? जानें कब और कैसे हुई शुरुआत

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श्वेता कुमारी
Updated Mar 08, 2020 | 08:02 IST

International Women's Day 2020: अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस को लेकर हर किसी के जेहन में यह सवाल आता है कि यह आखिर 8 मार्च को ही क्‍यों मनाया जाता है। जानें इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई?

International Women's Day 2020 know how it started
Women's Day 2020: 8 मार्च को क्यों मनाया जाता है अंतरराष्‍ट्रीय महिला द‍िवस? जानें कब और कैसे हुई शुरुआत (साभार : pixabay.com) 

नई दिल्‍ली : अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस को लेकर तैयारियां पहले से ही शुरू हो चुकी हैं। हर साल 8 मार्च को पड़ने वाला यह खास दिन दुनिया की आधी आबादी को समर्पित होता है, जो अपनी-अलग भूमिकाओं से परिवार, समाज, राष्‍ट्र निर्माण व वैश्विक व्‍यवस्‍था में महत्‍वपूर्ण योगदान देती हैं। सोशल मीडिया के इस दौर में किसी महिला दिवस पर भी खूब मैसेजेस का आदान-प्रदान होता है तो तमाम तरह के आयोजनों के जरिये यह बताने की कोशिश भी होती है कि महिलाओं का योगदान कितना महत्‍वपूर्ण रहा है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं, इस दिन की शुरुआत कैसे, कब और क्‍यों हुई?

1908 में ही पड़ गई थी नींव

दरअसल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक मजदूर आंदोलन की उपज है, जिसकी औपचारिक शुरुआत यूं तो 1975 में हुई, जब संयुक्‍त राष्‍ट्र ने इसे आधिकारिक तौर पर मान्‍यता दी, लेकिन इसका बीजारोपण साल 1908 में ही हो गया था, जब लगभग 15 हजार महिलाएं अमेरिका में न्यूयॉर्क की सड़कों पर उतर आई थीं। ये कामकाजी महिलाएं थीं, जिन्‍होंने नौकरी के घंटों को कम किए जाने और कामकाज की बेहतर सुविधाओं की मांग को लेकर मार्च निकाला था। यह वो दौर था, जब अमेरिका जैसे देश में भी महिलाओं को मतदान का अधिकार नहीं था।

रूस में भी महिलाओं ने की हड़ताल

उन्‍होंने न सिर्फ नौकरी के घंटों को कम करने और बेहतर कामकाजी सुविधाओं की मांग की, बल्कि बेहतर वेतन और मतदान के अधिकार के लिए भी आवाज उठाई। अमेरिका में महिलाओं के इस मार्च के बाद 1917 में रूस में भी महिलाओं ने 'ब्रेड एंड पीस' (भोजन व शांति) की मांग को लेकर हड़ताल शुरू की। उस वक्‍त रूस में भी महिलाओं को मतदान का अधिकार नहीं था। महिलाओं ने अपने आंदोलन के दौरान यह मांग भी उठाई।

8 मार्च ही क्‍यों?

रूस में महिलाओं ने जिस दिन हड़ताल शुरू की थी, वह जूलियन कैलेंडर के हिसाब से 23 फरवरी की तारीख थी। उस वक्‍त रूस में जूलियन कैलेंडर ही लागू था। लेकिन ग्रेगेरियन कैलेंडर के हिसाब से वह तारीख 8 मार्च थी, जो रूस में महिलाओं के उस आंदोलन के बाद 1918 में लागू हुआ था। उसके बाद से ही हर साल 8 मार्च को महिला दिवस मनाया जाने लगा। लेकिन महिलाओं के इस आंदोलन ने अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर इसके आयोजन को लेकर लंबा सफर तय किया।

कौन हैं क्‍लारा जेटकिन?

दरअसल, इसे अंतरराष्‍ट्रीय बनाने का आइडिया जर्मनी की मार्क्‍सवादी चिंतक, कार्यकर्ता और महिला अधिकारों की पैरोकार क्लारा जेटकिन का था, जिन्‍होंने 1910 में ही कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं के एक सम्‍मेलन के दौरान महिला दिवस को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर मनाने का सुझाव दिया। उस सम्‍मेलन में 17 देशों की 100 महिलाओं ने हिस्‍सा लिया था और सभी ने इस सुझाव का समर्थन किया। इसके अगले ही साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड ने मिलकर महिला दिवस मनाया। लेकिन तब तक इसे और व्‍यापकता नहीं मिली थी।

1975 में UN ने दी आधिकारिक मान्‍यता

फिर महिला दिवस को अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर मनाने का सुझाव देने वाली क्‍लारा जेटकिन ने इसके लिए कोई तारीख भी पक्की नहीं की थी। ऐसे में रूस में 1917 में हुए महिलाओं के आंदोलन से इसका रास्‍ता निकला और इसे 8 मार्च को मनाया जाने लगा। लेकिन इसे आधिकारिक तौर पर मान्‍यता और अधिकता व्‍यापकता तब मिली, जब 1975 में संयुक्‍त राष्‍ट्र ने वार्षिक तौर पर थीम के साथ इसे मनाना शुरू किया।

क्‍या है थीम?

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पहली थीम 'सेलीब्रेटिंग द पास्ट, प्लानिंग फॉर द फ्यूचर' थी। अब 2020 में जबकि 8 मार्च को अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस मनाया जाना है, संयुक्‍त राष्‍ट्र ने इसकी थीम 'आई एम जेनेरेशन इक्‍वलिटी : रियलाइजिंग वीमेंस राइट्स' रखा है।

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