हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस मनाया जाता है। माना जाता है कि योग की उत्पत्ति हजारों साल पहले भारत में हुई थी और इसका उल्लेख ऋग्वेद जैसी प्राचीन पौराणिक पुस्तकों में भी मिलता है। 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र (UN) महासभा में अपने भाषण के दौरान 'योग दिवस' मनाने का विचार प्रस्तावित किया था। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया।
हालांकि देश में इस दिन राजनीति भी जमकर होती है। जहां एक तरफ सरकार, बीजेपी और उसके समर्थक बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष उतना उत्साह नहीं दिखाता। इसे लेकर कई बार खूब राजनीति भी होती है। लेकिन इसी बीच देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की एक तस्वीर खूब वायरल होती है। इस तस्वीर में वो शीर्षासन करते हुए दिखते हैं। इस तस्वीर को इस तरह से पेश किया जाता है कि भारत में पहले से योगा मौजूद है और ये खूब प्रचलित था, सिर्फ वर्तमान सरकार ही इसके लिए कोई क्रेडिट न ले।
कौन कितना फिट
नेहरू की इस तस्वीर को पोस्ट कर कई बार आज के नेताओं खासकर प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाया जाता है। कहा जाता है कि मोदी और बीजेपी वाले इतना योगा-योगा करते हैं क्या वो अच्छे से एक भी आसन कर सकते हैं। नेहरू तो शीर्षासन किया करते थे। सोशल मीडिया पर बहस होने लग जाती है कि क्या नेहरू का फिटनेस लेवल मोदी से बेहतर था? इसमें कोई संदेह नहीं है कि जवाहरलाल नेहरू एक बेहद फिट व्यक्ति थे। वह शीर्षासन बखूबी कर सकते थे, साथ ही तैराकी और घुड़सवारी भी करते थे। हालांकि पीएम मोदी भी अपनी फिटनेस के लिए जाने जाते हैं। वो युवाओं और देश के लोगों को भी योगा और एक्सरसाइज के लिए प्रेरित करते रहते हैं। वो फिट इंडिया का मंत्र देते हैं।
नेहरू को पसंद था शीर्षासन
योगा दिवस के दिन जब कई नेताओं को फोटो और वीडियो सामने आते हैं, जिसमें वो अच्छे से अच्छे से आसन नहीं कर पाते हैं तो कई लोग नेहरू की उस पुरानी तस्वीर को निकालकर लाते हैं और उन्हें ट्रोल करते हैं। नेहरू की ये तस्वीर आज के नेताओं के लिए खूब चुनौती पेश करती है। पूर्व पीएम ने शीर्षासन पर लिखा था, 'मेरी कई एक्सरसाइज में से एक मुझे विशेष रूप से शीर्षासन प्रसन्न करता है। मुझे लगता है कि शारीरिक रूप से यह व्यायाम बहुत अच्छा है; मुझ पर इसके मनोवैज्ञानिक प्रभावों के लिए मुझे यह और भी अधिक पसंद आया। थोड़ी सी मजाकिया पॉजिशन ने मेरे अच्छे हास्य को बढ़ाया और मुझे जीवन की अनियमितताओं के प्रति थोड़ा अधिक सहिष्णु बना दिया।'
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