Irom Sharmila : सरकार ने गुरुवार को सशस्त्र बल शक्तियां अधिनियम (अफस्पा) पर एक बड़ा फैसला लिया। असम, मणिपुर एवं नागालैंड के कई इलाकों में अफस्पा के दायरे को कम किया जाएगा। सरकार के इस फैसले का एक्टिविस्ट इरोम शर्मिला ने स्वागत किया है। शर्मिला ने पूर्वोत्तर के राज्यों से अफस्पा हटाने के लिए 16 वर्षों तक अनशन एवं धरना दिया। रिपोर्टों के मुताबिक शर्मिला ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि 'यह लोकतंत्र की वास्तविक पहचान है।' अफस्पा हटाने के लिए शर्मिला नवंबर 2000 से अगस्त 2016 तक भूख हड़ताल पर रहीं।
शर्मिला ने कहा, 'मेरे जैसे एक्टिविस्ट के लिए यह वास्तव में बहुत अच्छा अवसर है। मुझे देखकर खुशी हो रही है कि मुख्य धारा के राजनेता कुछ अलग करने के इच्छुक हैं। पुराना पड़ चुके एवं औपनिवेशिक कानून को खत्म करने का फैसला मेरे लिए लोकतंत्र की वास्तविक पहचान जैसा है। यह दशकों की लड़ाई की परिणाम और एक नई शुरुआत है। सरकार ने पहला कदम उठाया है। मैं चाहती हूं कि अफस्पा पूरे नॉर्थ इस्ट से हमेशा के लिए समाप्त कर दिया जाए। इस कानून की वजह से जिन लोगों ने अपनों को खोया है या जो प्रताड़ित हुए हैं, उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए।'
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अभी पूरी तरह नहीं हटेगा अफस्पा
गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को ऐलान किया कि दशकों बाद एक अप्रैल से नगालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) के तहत आने वाले अशांत क्षेत्रों को घटाया जा रहा है। इस फैसले का मतलब यह नहीं है कि उग्रवाद प्रभावित इन राज्यों से आफस्पा को पूरी तरह से हटाया जा रहा है, बल्कि यह कानून तीन राज्यों के कुछ इलाकों में लागू रहेगा। बता दें कि करीब तीन महीने पहले केंद्र ने नगालैंड से अफस्पा को हटाने की संभावना को देखने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। नगालैंड में पिछले साल दिसंबर में सेना ने ‘गलत पहचान’ के मामले में 14 आम लोगों को मार दिया था।
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आफस्पा के तहत आने वाले इलाकों को घटाया जा रहा है
शाह ने ट्विटर पर कहा, 'एक अहम कदम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व में भारत सरकार ने नगालैंड, असम और मणिपुर में दशकों बाद सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून के तहत आने वाले अशांत इलाकों को घटाने का फैसला किया है।' गृह मंत्री ने कहा कि सुरक्षा में सुधार, निरंतर प्रयासों के कारण तेज़ी से हुए विकास, मोदी सरकार द्वारा उग्रवाद खत्म करने के लिए किए गए कई समझौतों और पूर्वोत्तर में स्थायी शांति के फलस्वरूप आफस्पा के तहत आने वाले इलाकों को घटाया जा रहा है।
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