पटना: बिहार देश का एक ऐसा राज्य है जो कई मामलों में दशकों से गुमनामी के अंधेरे में रहा। पर्यटन उनमें से ही एक है। ऐतिहासिक स्थलों और स्मारकों से भरपूर यह राज्य पर्यटन के मामले में हमेशा पिछड़ा हुआ रहा है। कई धर्मों के लिए धार्मिक महत्त्व रखने वाला बिहार पर्यटन के क्षेत्र में अपने पड़ोसी राज्यों से अभी तक बहुत पीछे रहा। बीते कुछ सालों में बिहार सरकार ने राज्य में पर्यटन को व्यापक बनाने के लिए कुछ कोशिशें ज़रूर की हैं। इसी का उदाहरण राजगीर में बना शीशे का पुल है।
बिहार सरकार लगातार ऐसी कोशिशें कर रही है जिससे बिहार में सैलानियों की भीड़ को आकर्षित किया जा सके। आइये हम आपको बिहार की उन जगहों के बारे में बताते हैं जहाँ आप अपनी आने वाली छुट्टियों में जा सकते हैं। साथ ही बिहार सरकार की उन परियोजनाओं के बारे में भी बताएंगे जिनसे बिहार सरकार को पर्यटन के क्षेत्र में बड़ी उम्मीदें हैं।
राजगीर
नालंदा ज़िले में स्थित बिहार का यह छोटा सा शहर राजगीर बीते दिनों शीशे के पुल की वजह से देश भर में चर्चा का विषय बना रहा। दो सौ फिट की ऊंचाई पर स्थित इस शीशे के पुल से बिहार सरकार को ज़्यादा से ज़्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्र्रीय सैलानियों के आने की उम्मीद है। यह शहर चारों तरफ से पहाड़ और जंगलों से घिरा हुआ है। प्राकृतिक सुंदरता के साथ यहां की पहाड़ियां जैन और बौद्ध धर्म के लिए बहुत अधिक महत्व रखती हैं। भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश राजगीर में स्थित विपुलागिरी पर्वत पर ही दिया था। राजगीर की पहाड़ियों पर 26 जैन मंदिर बने हुए हैं लेकिन वहां पहुंचना आसान नहीं है।
भगवान बुद्ध भी राजगीर स्थित गृद्धकूट पर्वत पर ही उपदेश देते थे। राजगीर में और इसके आसपास विश्व शांति स्तूप, सोन भंडार गुफा,जरासंध का अखाड़ा, जापानी मंदिर, तपोवन, बाबा सिद्धनाथ का मंदिर मौजूद है। राजगीर पहुँचने के लिए सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट पटना है। साथ ही आप बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम की बसों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। रेल यात्रा के लिए भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों से रजगीर के लिए रेलगाड़ी उपलब्ध है।
गया
गया स्थित महाबोधि मंदिर परिसर यूनेस्को की विश्व विरासत स्थलों में शामिल है। इस परिसर के अंदर महाबोधि वृक्ष के साथ-साथ 6 और धार्मिक स्थल शामिल हैं। इसी परिसर में एक जगह है ‘अनिमेष लोचन चैत्य’। ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध ने यहां एक हफ्ता बिताया था और बिना पलक झपके लगातार महाबोधि वृक्ष की तरफ देखते रहे। गया में ही गौतम बुद्ध की 80 फीट ऊंची प्रतिमा मौजूद है। इसके साथ ही विभिन्न देशों द्वारा बनवाए गए बौद्ध मठ भी यहां हैं।
पावापुरी
यह जगह जैन धर्म के लिए बहुत ख़ास महत्त्व रखती है। क्योंकि पांच सौ ईसा पूर्व भगवान महावीर का अंतिम संस्कार इसी जगह किया गया था। जिस जगह भगवान महावीर का अंतिम संस्कार हुआ था वहां एक बड़ा तालाब है। इस तालाब के बीचो बीच एक मंदिर है जिसे ‘जल मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। सैलानी चाहें तो पटना होते हुए पावापुरी पहुंच सकते हैं। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पटना है।
नालंदा
नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर के लिए यह जगह दुनिया भर में मशहूर है। प्राचीन काल में यह विश्व के सबसे बड़े अध्ययन केंद्रों में से एक था। सातवीं शताब्दी में ह्वेनसांग भी अध्ययन के लिए यहां आया था। बिहार के छठ पर्व के लिए मशहूर सूर्य मंदिर भी यहां से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। यहां 1917 में स्थापित एक संग्रहालय भी है जहां आप भगवान बुद्ध से संबंधित कई ऐतिहासिक वस्तुओं को देख सकते हैं। नालंदा के बाहरी इलाके में स्थित कुंडलपुर गाँव को अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर की जन्मस्थली माना जाता है।
रोहतास
यह जिला इतिहास और प्राकृतिक खूबसूरती दोनों के हिसाब से बहुत शानदार है। रोहतासगढ़ का किला आजकल सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसके साथ ही इंद्रपुरी डैम और कैमूर की पहाड़ी का नजारा बहुत खूबसुरत है। इस जिला में कई कुंड भी हैं जिनकी खूबसूरती देख कर आप दंग रह जाएंगे।
दरभंगा
कभी दरभंगा महाराज की शान-ओ-शौकत के लिए मशहूर इस शहर में आज भी ऐसा बहुत कुछ है जिसे देख कर आप कहेंगे कि बिहार ने अपने ऐतिहासिक स्थलों की कद्र नहीं की। दरभंगा महाराज का राज किला और उसकी दीवारें और द्वार आपको अचंभित कर देंगी। शहर के बीचों बीच स्थित संस्कृत विश्वविद्यालय और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की इमारत देख कर आप उसके वास्तुकला के दीवाने हो जाएंगे। दरभंगा रेलवे स्टेशन के नज़दीक एक संग्रहालय भी है जहां राज परिवार के इस्तेमाल में आने वाली कई वस्तुएं रखी हैं।
पटना
बिहार की राजधानी पटना यूं तो अब बड़ी तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है। सिखों के दसवें गुरु श्री गोविन्द सिंह जी का जन्म स्थल भी इसी शहर में है। तख़्त हरमंदिर साहब को देखने हर साल लाखों सैलानी पटना आते हैं। पटना का अजायबघर और संजय गाँधी जैविक उद्यान भी सैलानियों के बीच काफी मशहूर है। इसी शहर में अशोक कालीन एक कुआं भी है जिसका पानी आज तक नहीं सूखा। इस कुएं को ‘अगमकुआँ ’ के नाम से जाना जाता है। पटना से तीस किलोमीटर दूर मनेर शरीफ की दरगाह भी है। इसी दरगाह में 1616 ईसवी में मखदूम शाह को दफनाया गया था।
मधुबनी
बिहार के कई जिले पर्यटन के हिसाब से बहुत महत्वपूर्ण हैं। मधुबनी पेंटिंग के लिए विश्व विख्यात मधुबनी जिला ऐतिहासिक महत्व के मामले में भी पीछे नहीं है। मधुबनी के सौराठ गांव में भगवान सोमनाथ का एक मंदिर है। यहां प्रत्येक वर्ष एक सूर्य महोत्सव का भी आयोजन होता है।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार की परियोजनाएं
बिहार सरकार ने अपने अधिकतर पर्यटन स्थलों को कुछ सर्किट में बांट दिया है। इससे सैलानियों को अपनी पसंद के हिसाब से घूमने फिरने में आसानी होती है। इनमें बुद्ध सर्किट, जैन सर्किट, रामायण सर्किट, सूफी और ईको सर्किट महत्वपूर्ण हैं। सभी सर्किट की विस्तृत जानकारी सैलानी बिहार स्टेट टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन की आधिकारिक वेबसाइट से ले सकते हैं।
राजगीर में नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट
राजगीर में बने ग्लास ब्रिज का उद्घाटन करने के बाद वहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कई और ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। यहां एक ‘नेचर सफारी’ का भी निर्माण हो रहा है जिसका निर्माण मार्च 2021 तक पूरा हो जाने की संभावना है। साथ ही यहां राजगीर के जंगलों में एक ‘ज़ू सफारी’ का भी निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसके साथ ही नए गोंडोला रोपवे, तितली पार्क, और आयुर्वेदिक पार्क का काम भी तेज गति से चल रहा है।
तो बस आप भी बुद्ध, श्री गोविन्द सिंह जी और भगवान महावीर की धरती के दर्शन कर के आइये और हमें बताइए के आपका अनुभव कैसा रहा। हाँ बिहार का मशहूर लिट्टी चोखा, जलेबी, और बिहारी कबाब खाना मत भूलियेगा।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।