नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यसमिति की सोमवार को सात घंटे तक चली बैठक के बाद यह फैसला हुआ कि पार्टी की कमान एआईसीसी के अगले सेशन तक सोनिया गांधी के हाथ में रहेगी। यानि कि पार्टी के ज्यादातर लोगों को सोनिया गांधी का 'हाथ' पसंद है। लेकिन कार्यसमिति की बैठक में और उसके पहले जो कुछ हुआ उसे समझना जरूरी है। कुथ दिग्गज नेता जिन्हें जी-23 की पहचान मिली है उनकी तरफ से सोनिया गांधी को खत लिखा गया था जिसमें संगठन में आमूलचूल परिवर्तन की मांग की गई। लेकिन वो खत लीक हो गया और बात यहीं से खराब हो गई। सोमवार को बताया राहुल गांधी ने पार्टी के किसी दिग्गज नेता नाम न लेते हुए कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जिनकी बीजेपी से सांठगांठ थी।
राहुल गांधी के बयान पर दिग्गज कांग्रेसी बिफरे
राहुल गांधी के कथित बयान पर आरोप प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया। कपिल सिब्बल ने कहा कि राजस्थान और मणिपुर के लिए वो अदालत में पार्टी का पक्ष रखे तमाम मौकों पर पार्टी के लिए आगे आए फिर भी बीजेपी से सांठगांठ का आरोप लगाया जा रहा है। ये बात अलग है कि रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि राहुल गांधी ने वैसा कुछ नहीं कहा था। लेकिन यह मामला थमता नजर नहीं आ रहा है। कपिल सिब्बल ट्वीट कर कहते हैं कि यह पद की बात नहीं है। उनके लिए देश ज्यादा महत्वपूर्ण है।
अनिल शास्त्री ने भी उठाए सवाल
कपिल सिब्बल के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अनिल शास्त्री ने कहा कि पार्टी नेतृत्व में कुछ बुनियादी कमिया हैं जिसमें पार्टी के नेताओं या शीर्ष नेतृत्व से दूसरे लोगों का संवाद नहीं हो पा रहा है। अगर किसी राज्य से पार्टी का कोई नेता दिल्ली आता तो उसके लिए वरिष्ठ नेताओं से मिलना बहुत ही मुश्किल होता है। शास्त्री कहते हैं कि बदलते समय के साथ बदलाव जरूरी है। लेकिन पार्टी में एक तरह से जड़ता की स्थिति आ चुकी है और उसका असर अब दिखाई दे रहा है।
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