नई दिल्ली: देश में इन पिछले कुछ समय से बुल्डोजर और हनुमान चालीसा की खूब चर्चा हो रही है। यूपी से शुरू हुआ बुल्डोजर का प्रयोग देखते ही देखते मध्य प्रदेश, गुजरात, दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड तक पहुंच गया। दूसरे शब्दों में कहें तो बुलडोजर राजनीति में एक ऐसा प्रतीक बन गया है जिस पर सवार होकर पक्ष क्या विपक्ष भी अपनी राजनीतिक नैय्या को पार लगाना चाहता है। वहीं हनुमान चालीसा को लेकर महाराष्ट्र से शुरूआत हुई औऱ देखते ही देखते यह पूरे देश का मामला बन गया।
दरअसल यूपी में विधानसभा चुनाव हुए तो बुलडोजर की खूब चर्चा हुई। खुद सीएम योगी का एक बयान वायरल हुआ जिसमें वह हेलीकॉप्टर में बैठें हैं खिड़की से अपनी चुनावी सभा को दिखाते हुए बुलडोजर के चुनावी सभा में खड़े होने पर गर्व कर रहे हैं। बुलडोजर को अगर राजनीति में किसी ने नई पहचान दिलाई तो वो हैं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ। यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जब शानदार ऐतिहासिक जीत के बाद सत्ता में वापसी की तो इसका श्रेय यूपी की मजबूत कानून व्यवस्था को दिया गया। खुद मुख्यमंत्री योगी चुनावी जनसभाओं में यह कहते थे कि यूपी में अपराधियों के मन में बुलडोजर को लेकर खौफ है।
बीजेपी की जीत के बाद बुलडोजर एक ऐसा प्रतीक बन चुका है कि इसे अब 'चुनावी जीत' के फॉर्मूले के रूप में देखा जा रहा है। मध्य प्रदेश हो या दिल्ली, या फिर गुजरात, हर जगह बुलडोजर की धूम है। खरगोन में हुई हिंसा के बाद शिवराज सरकार ने जहां आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन लिया तो जहांगीरपुरी में भी एमसीडी ने इसी तरह का एक्शन शुरू कर दिया, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। गुजरात में भी हिंसा के आरोपियों की संपत्ति पर बुलडोजर से एक्शन लिया गया। अब हर जगह बुलडोजर का फॉर्मूला हिट हो रहा है।
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अब बात करते हैं हनुमान चालीसा को लेकर हो रही राजनीति पर। सबसे पहले राज ठाकरे ने लाउडस्पीकर विवाद के बीच हनुमान चालीसा पाठ कराने की बात कही तो कई अन्य नेताओं और दलों ने भी इसे हाथों हाथ लपक लिया। जिस राज की चेतावनी को उद्धव सरकार महज एक शिगूफा मान रही थी, विवाद बड़ा तो उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई। इसके बाद इस विवाद में लोकसभा सांसद नवनीत राणा की एंट्री हुई और उन्होंने उद्धव ठाकरे के घर के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ कराने का ऐलान कर दिया। हालांकि नवनीत को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया लेकिन हनुमान चालीसा को लेकर राजनीति जारी है। जहां राजनीति में पहले धार्मिक मामलों को लेकर चुप्पी साधी जाती थी, वहीं अब हर कोई खुद को हनुमान भक्त साबित करने में लगा है।
उधर एनसीपी (NCP) नेता फहेमिदा हसन खान पीएम मोदी के घर के सामने हनुमान चालीसा, नमाज और अन्य धार्मिक पाठ करना चाहती हैं। बीजेपी तो खुलकर नवनीत राणा का समर्थन कर रही है। वहीं राज ठाकरे ने जब लाउडस्पीकर और हनुमान चालीसा की बात कही तो कांग्रेस और एनसीपी के अलावा किसी दल ने मुखर होकर उनका विरोध नहीं किया। इस बीच विकास, शिक्षा जैसी बुनियादी मुद्दों पर बात करने वाली और दो राज्यों की सत्ता पर आसीन आम आदमी पार्टी की भी इस पूरे मामले में एंट्री हो चुकी है और मुंबई की AAP विंग ने ट्विटर स्पेस पर हनुमान चालीसा का पाठ कराकर महाराष्ट्र की राजनीति में खुद का स्पेस बनाने का रास्ता तैयार करने की कोशिश की।
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दरअसल यह एक ऐसा दौर है जहां अधिकतम राजनीतिक दल खुद को हिंदू समर्थक होने के साथ-साथ खुलकर भगवान भक्त (हनुमान, श्रीराम, श्रीकृष्ण आदि) बताने से नहीं चूक रहे हैं। इसका उदाहरण यूपी के अलावा महाराष्ट्र में साफ देखने को मिल रहा है। बुलडोजर हो या हनुमान चालीसा, यह तो बानगी भर है, आने वाले बीएमसी चुनाव हों या फिर अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव, आप देखेंगे कि हनुमान जी और बुलडोजर को राजनीतिक दल आइकन के रूप में प्रयोग करेंगे। यह राजनीति का संयोग नहीं बल्कि प्रयोग का दौर है जहां अब आपको चुनावी राजनीति 360 डिग्री घूमती हुई नजर आएगी।
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