नई दिल्ली। आप में से हर एक शख्स कभी ना कभी कालका से शिमला तक टॉय ट्रेन का आनंद लिया होगा। कालका से शिमला की यात्रा में आप पहाड़ों के सीने को चीर कर बनाए गए सुरंगों के जरिए आगे का सफर करते हैं तो सुरम्य वादियों की अनुपम छंटा को निहारते हुए बढ़ते जाते हैं। यहां हम आपको कालका से शिमला रेल रूट की खासियत के बारे में बताएंगे जिसे जानने की उत्सुकता हर एक शख्स की होती है।
कालका- शिमला रेल रूट का विस्तार शिवालिक रेंज से लेकर धौलाधर की चोटियों तक है। इस रेल रूट को बनाने में तमाम तरह की दिक्कतें पेश आई थी। दरअसल जिस समय इस रेल रूट को जमीन पर उतारने की कवायद की गई उस वक्त तकनीक आज की तरह नहीं थी। इस रेल रूट की बड़ी खासियत यह है कि वो रोड के समांतर चलती है और उसकी ऊंचाई रोड से ज्यादा है।
कालका शिमला रेल रूट की खासियत
2008 में वर्ल्ड हेरिटेज में कालका-शिमला रेल लाइन शामिल
कालका-शिमला रेलवे लाइन को यूनेस्को ने जुलाई 2008 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया था। इसी रूट पर कनोह रेलवे स्टेशन पर ऐतिहासिक आर्च गैलरी पुल 1898 में बनी थी। यह पुल 64.76 किमी पर मौजूद है। आर्च शैली में निर्मित चार मंजिला पुल में 34 मेहराबें हैं।
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