नई दिल्ली। क्या इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के मुखिया जाकिर नाईक और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (RGCT) के बीच वित्तीय लेनेदेन था । क्या वित्तीय लेन देन के एवज में जाकिर नाईक के खिलाफ जांच को पांच साल तक के लिए दबा दिया गया। दरअसल Times Now को जानकारी हासिल हुई है उसके मुताबिक वित्तीय लेनदेन को पांच वर्ष दबाए रखा गया। टाइम्स नाउ की एक जांच से पता चला है। कि नाइक के साथ या उसके संगठन के साथ जो भी वित्तीय लेनदेन हुई थी उसका मकसद यह थआ कि शैक्षणिक संस्थानों और दूसरे माध्यमों की आड़ देश के सांप्रदायिक माहौल को खराब करना जिसकी जांच भी चल रही है।
जाकिर नाईक के खिलाफ एनआईए कर रही है जांच
राष्ट्रीय जांच एजेंसी तीन खातों में हुए लेनदेन को देख रही है। इसके साथ ही गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम यानि यूएपीए के विभिन्न धाराओं के तहत कथित उल्लंघन के लिए जांच की जा रही गै। नाइक ने हार्मनी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड, जिसने पीस टीवी और इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) चला रहा था।
कांग्रेस को आईआरएफ से 65 करोड़ मिले थे
टाइम्स नाउ को पता चला है कि वित्तीय वर्ष 2003-04 और 2016-17 के बीच, आईआरएफ को 65 करोड़ रुपये का धन मिला। यह, एनआईए के अनुसार अपराध की आय है। एनआईए उन व्यक्तियों की भी जांच कर रही है जिनसे धन प्राप्त किया गया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आरजीसीटी के खिलाफ विभिन्न आरोपों की जांच के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया है। 2011 में आरजीसीटी द्वारा प्राप्त उक्त धनराशि 4.5 साल बाद लौटी थी, जब नाइक भारत से भाग गया था।
पांच साल तक कांग्रेस रही चुप
यह ध्यान देने वाली बात है कि एनआईए द्वारा नाइक के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के बाद ही दिसंबर 2016 में वो रकम वापस किए गए थे। दिलचस्प बात यह है कि आरजीसीटी की बैलेंस शीट में पांच साल तक उन पैसों की जिक्र नहीं है। दस्तावेजों के मुताबिक आईआरएफ को निधि के रूप में 64.86 करोड़ रुपये मिले, जबकि नाइक को खुद 50 करोड़ रुपये मिले। हार्मनी मीडिया को 79 करोड़ रुपये मिले, इस तरह अपराध की आय 200 करोड़ रुपये हो गई।इस मामले पर टिप्पणी करते हुए, कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पहले कहा था, "सच्चाई यह है कि राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) को कानून और मानदंडों के अनुरूप दान मिला और उसी को ट्रस्ट ने विवाद को देखते हुए अपनी इच्छा से वापस कर दिया।
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