जलियांवाला बाग ट्रस्ट बिल को संसद से मिली मंजूरी, हटेगा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम

देश
Updated Nov 20, 2019 | 00:34 IST | भाषा

संसद ने मंगलवार को जलियांवाला बाग ट्रस्ट से संबंधित उस विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी। ट्रस्ट के न्यासियों में से कांग्रेस अध्यक्ष का नाम हटेगा।

Jallianwala Bagh Memorial Amendment Bill gets approval from Parliament
Jallianwala Bagh Memorial Amendment Bill gets approval from Parliament 

नई दिल्ली : संसद ने मंगलवार को जलियांवाला बाग ट्रस्ट से संबंधित उस विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें ट्रस्ट के न्यासियों में से कांग्रेस अध्यक्ष के नाम को हटाने और लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को न्यासी बनाने का प्रावधान किया गया है। राज्यसभा में राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2019 पर हुई चर्चा में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने न्यासियों में से कांग्रेस अध्यक्ष का नाम हटाने जाने के प्रावधान को लेकर सरकार पर निशाना साधा।

विधेयक पर हुई चर्चा का जबाव देते हुए संस्कृति मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि उसने कभी भी ट्रस्ट के कामकाज को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि 1951 में ट्रस्ट की स्थापना के समय जवाहरलाल नेहरू, सैफुद्दीन किचलू और मौलाना आजाद इसके स्थाई न्यासी थे और उनके निधन के कई साल बाद भी कांग्रेस की तत्कालीन सरकारों ने स्थाई न्यासियों के पद भरने का प्रयास नहीं किया।

उनकी चर्चा के बाद उच्च सदन ने ध्वनिमत से राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। पटेल ने कहा कि सरकार द्वारा नामित सदस्यों में शहीदों के परिजनों को भी शामिल करने के उपाय किए जाएंगे। पटेल ने कहा कि कहा कि जलियांवाला बाग एक राष्ट्रीय स्मारक है और हम नहीं चाहते कि इसमें कोई राजनीति हो।

कांग्रेस की अनदेखी किये जाने के आरोपों पर पटेल ने कहा कि ट्रस्ट में पंजाब के मुख्यमंत्री, अमृतसर के सांसद, पंजाब के संस्कृति मंत्री, केन्द्र में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को सदस्य रखने की बात की गई है। ऐसे में यह आरोप उचित नहीं है।

उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग की मिट्टी में हमारे बलिदानी पुरखों का खून है। उन्होंने कहा कि सरकार ने वहां की खून से रक्तरंजित मिट्टी को राष्ट्रीय संग्रहालय में रखने के लिए कदम उठाया है ताकि यह लोगों को अपने पुरखों की शहादत और उनके बलिदान से अवगत करा सके।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री रहते हुए 1970 में इंदिरा गांधी ने एक बार ट्रस्ट की बैठक की अध्यक्षता की थी। उसके बाद सात अगस्त 1998 को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस ट्रस्ट के बैठक की अध्यक्षता की जबकि उस समय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे।

उन्होंने 1920 से लेकर 1951 और उसके बाद के ट्रस्ट के कामकाज की विस्तार से चर्चा करते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने इसे सुचारू रूप से चलाने की ओर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने ट्रस्ट की बैठकों के बारे में काफी रिकार्ड खंगाले लेकिन उन्हें बहुत जानकारी नहीं मिली। उन्होंने आरोप लगाया कि संस्था का कामकाज काफी लचर रहा है और उसमें सुधार की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि अब संस्था को उसका हक मिल रहा है और अपनी सुविधा के अनुसार किसी संस्था को चलाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कटुता से काम नहीं चलेगा और इसे दल का मामला नहीं बनाया जाना चाहिए।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।

अगली खबर