श्रीनगर। पांच अगस्त 2019 को संसद ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले स्पेशल राज्य के दर्जे को हटा लिया और प्रशानिक तौर पर जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश हो गया। लेकिन केंद्र सरकार ने साफ किया यह एक अस्थाई चरण है हालात के सामान्य होने पर जम्मू-कश्मीर में बाकायदा चुनी हुई सरकार होगी। यह बात अलग है कि जम्मू-कश्मीर के कुछ खास दलों को केंद्र के वादे पर यकीन नहीं है। लेकिन जम्मू-कश्मीर सरकार लोगों के दिलों तक पहुंचने की कोशिश में जुटी हुई है ताकि उन लोगों में विश्वास बहाली की जा सके जो अपने आपको अलग थलग पाते हैं।
जम्मू-कश्मीर राजभवन की पहल
जम्मू कश्मीर के एलजी ने हाल ही में शोपियां के उन परिवारों से मुलाकात की जिनके कुथ सदस्य मुठभेड़ में मार दिए गए थे तो अब सरकार ने फैसला किया है कि दूरदराज के लोग जो लोग बीमार होंगे उन्हें मुफ्त में राजभवन का उड़नखटोला अस्पताल तक पहुंचाएगा। यह सेवा विशेष रूप से उन रोगियों के आपातकालीन एयरलिफ्ट को पूरा करेगी, जो गरीबी रेखा से नीचे आते हैं और यहां तक कि दोनों डिवीजनल कमिश्नरों के निपटान में पहले से ही उपलब्ध हेलीकॉप्टर सेवा के लिए रियायती शुल्क का भुगतान नहीं कर सकते हैं।
सरकारी वादों और दावों पर यकीन नहीं
यहां पर यह समझना जरूरी है कि अनुच्छेद 370 की बहाली के विषय पर फारुक अब्दुल्ला के आवास पर 6 दलों की बैठक हुई थी जिसमें सभी दलों ने कहा कि लड़ाई जारी रहेगी। उमर अब्दुल्ला ने एक कदम और आगे बढ़कर कहा कि हर एक दिन एक जैसा नहीं होता। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या आपलोगों को केंद्र के वादे पर भरोसा नहीं है तो उन्होंने कहा कि सरकार ने तो संगीनों के साए में अनुच्छेद 370 को हटा दिया। केंद्र सरकार ने तो एक तरह से वादाखिलाफी की। फारुक अब्दुल्ला के आवास पर हुई बैठक को अह सामान्य तौर पर गुपकार घोषणा के नाम से भी जाना जाता है इसकी पहली बैठक 4 अगस्त 2019 को हुई थी।
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