DSP Davinder :डीएसपी देविंदर सिंह को नहीं मिला 'वीरता पुरुस्कार', जम्मू-कश्मीर पुलिस ने किया साफ 

Dysp Davinder Singh is not awarded any Gallantry Medal:जम्मू-कश्मीर पुलिस ने किया साफ किया है कि डीएसपी देविंदर सिंह गृहमंत्रालय के वीरता पदक से सम्मानित नहीं किया गया है।

DSP Davinder :डीएसपी देविंदर सिंह को नहीं मिला 'वीरता पुरुस्कार', जम्मू-कश्मीर पुलिस ने किया साफ 
पुलिस और खुफिया अधिकारियों की एक टीम ने सिंह से पूछताछ जारी रखी है 

नई दिल्ली: आतंकियों के साथ पकड़े गए डीएसपी देविंदर सिंह से पूछताछ जारी है वहीं जम्मू-कश्मीर पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया है कि उसे गृह मंत्रालय से गृह मंत्रालय की ओर से कोई वीरता पदक नहीं दिया गया था। देविंदर सिंह को गृह मंत्रालय नहीं बल्कि पूर्व की जम्मू-कश्मीर राज्य सरकार ने वीरता पदक से सम्मानित किया था।

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ट्वीट कर बताया कि कुछ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि देवेंद्र सिंह को पुलिस मेडल से सम्मानित किया जा चुका है ऐसा नहीं है।

 

 

जम्मू-कश्मीर के डीएसपी देवेंद्र सिंह को सोमवार को निलंबित कर दिया गया और यह बात सामने आयी कि उन्होंने तीन आतंकवादियों को बादामी बाग छावनी इलाके में सेना की 16वीं कोर के मुख्यालय के पास अपने आवास पर आश्रय दिया था। सिंह के साथ ही उन आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया।

देवेंद्र सिंह से जारी है पूछताछ
पुलिस और खुफिया अधिकारियों की एक टीम ने सिंह से पूछताछ जारी रखी। श्रीनगर हवाईअड्डा पर स्थित उनके कार्यालय को सील कर दिया गया है। सिंह को विमान अपहरण विरोधी दस्ते में पुलिस उपाधीक्षक पद पर नियुक्त किया गया था।

घटनाओं की कड़ियों को जोड़ते हुए अधिकारियों ने कहा कि इरफान नामक एक वकील प्रतिबंधित हिजबुल मुजाहिदीन के स्वयंभू जिला कमांडर नावीद बाबा और अल्ताफ को शुक्रवार को अधिकारी के घर ले कर गया था। पुलिस के अनुसार इरफान आतंकी समूहों के लिए काम करता था।

आतंकियों को ले जा रहा था बाहर
रविवार शाम श्रीनगर हवाई अड्डे पर उनके कार्यालय को सील कर दिया गया ताकि किसी भी सबूत के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सके। सिंह को राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक नाके पर पुलिसकर्मियों की एक टीम ने गिरफ्तार किया था।टीम खुफिया सूचनाओं के बाद सतर्क थी कि नावीद बाबा को घाटी से बाहर ले जाया जा रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि गड़बड़ी कर फंस जाने के बाद सिंह के सभी बहाने उन पुलिस अधिकारियों को समझाने में विफल रहे जिन्होंने उनकी गिरफ्तारी की और श्रीनगर में उनके आवास की तलाशी ली।

शुरूआत में उन्होंने लगातार दावा किया कि वह 'बड़े आतंकवादी’ को पकड़ने के लिए आतंकवादियों का विश्वास जीतने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन उचित प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने के कारण वह अपनी बात प्रमाणित नहीं कर सके।

 

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