नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर पर गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एक बड़ी बैठक हुई। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के 14 राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए। राज्य से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद यह अब तक की सबसे बड़ी बैठक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के नेताओं को परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद विधानसभा चुनाव कराए जाने और भविष्य में पूर्ण राज्य का दर्जा देने का भरोसा दिया। इस बैठक में राज्य के नेताओं ने अपनी-अपनी बातें प्रधानमंत्री के सामने रखीं। सभी नेताओं ने माना है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार ने सकारात्मक पहल की है और इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए। जम्मू-कश्मीर अभी दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित है। आइए जानते हैं कि बैठक में किसने क्या कहा-
पीएम मोदी ने परिसीमन के बाद चुनाव कराने का भरोसा दिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया तेज गति से पूरी होनी है ताकि वहां विधानसभा चुनाव कराए जा सकें और एक निर्वाचित सरकार का गठन हो सके जो प्रदेश के विकास को मजबूती दे। जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ सर्वदलीय बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने सिलसिलेवार ट्वीट कर यह भी कहा कि सरकार की प्राथमिकता केंद्रशासित प्रदेश में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है। सर्वदलीय बैठक को जम्मू-कश्मीर को विकसित और प्रगतिशील प्रदेश के रूप में विकसित करने के जारी प्रयासों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताते हुए उन्होंने कहा, ‘हमारी प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है। परिसीमन तेज गति से होना है ताकि जम्मू-कश्मीर में चुनाव हो सकें और वहां एक चुनी हुई सरकार मिले जिससे राज्य के चौतरफा विकास को मजबूती मिले।’
फारूक ने पूर्व राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर विश्वास कायम करने की दिशा में काम किया जाए। लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला ने कहा, ‘विश्वास खत्म हो गया है और उसे तुरंत बहाल करने की जरूरत है और उसके लिए केंद्र को जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली की दिशा में काम करना चाहिए।’करीब तीन घंटे चली बैठक के बाद उन्होंने कहा, ‘मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि राज्य के दर्जे का मतलब है कि जम्मू-कश्मीर के आईएएस और आईपीएस कैडर को भी वापस करना। पूर्ण राज्य होना चाहिए।’
एक प्रक्रिया शुरू हो गई है-उमर
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह दोनों ने आश्वासन दिया कि वे जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह बैठक केंद्र द्वारा तत्कालीन राज्य के विशेष दर्जे को निरस्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के लगभग दो साल बाद आहूत की की गई। पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने कहा, ‘बैठक का निष्कर्ष यह था कि प्रधानमंत्री ने कहा कि वह ‘दिल की दूरी और दिल्ली की दूरी’ को हटाना चाहते हैं, लेकिन मुझे और साथ ही अन्य नेताओं को यकीन है कि इसके लिए एक बैठक पर्याप्त नहीं है। हालांकि, एक प्रक्रिया शुरू हो गई है।’
जरूरत पड़े तो पाक से भी बात हो-महबूबा
राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि शांति प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए अगर जरूरत पड़े तो पाकिस्तान के साथ भी बातचीत की जाए। विशेष राज्य का दर्जा हमें पाकिस्तान ने नहीं दिया था। इस दर्जे को हमें पू्र्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और वल्लभभाई पटेल ने दिया था। हमें संवैधानिक और कानूनी तरीके से राज्य का विशेष दर्जा हासिल करने की अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।'
आजाद ने भी कई मांगें रखीं
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने बैठक में अपनी पार्टी की ओर से विभिन्न बिंदु रखे, जिसमें पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना और उसके बाद चुनाव कराना शामिल है।आजाद ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने कश्मीरी पंडितों के लिए पुनर्वास प्रक्रिया, राजनीतिक बंदियों की रिहाई और अधिवास नियमों की भी मांग की है, जिसके तहत केंद्र जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए नौकरियों की गारंटी दे।’
बेग ने विस चुनाव कराने की मांग उठाई
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग ने भी कहा कि केंद्र की ओर से बैठक में आश्वासन दिया गया कि परिसीमन की प्रक्रिया खत्म होते ही चुनाव की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘अधिकांश राजनीतिक दलों ने बैठक में पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और विधानसभा चुनाव कराने की मांग उठाई।’
रैना ने महबूबा पर निशाना साधा
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को ‘बढ़ावा’ बंद करने तक पाकिस्तान के साथ बातचीत का विरोध करते हुए भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि पड़ोसी देश के साथ बातचीत की मांग करने वालों को हिंसा के पीड़ितों से मिलकर उनके दर्द को समझना चाहिए।प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जम्मू-कश्मीर भाजपा के अध्यक्ष रवींदर रैना कर रहे थे। रैना ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू-कश्मीर से ‘पाकिस्तान, अलगाववाद और आतंकवाद की भावना’ को खत्म करने के प्रयासों में तेजी लाने का आह्वान किया ताकि वहां के लोगों को शांतिपूर्ण माहौल मिल सके जो अपने ‘दिल, खून और डीएनए’ से भारतीय हैं।
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