नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन उससे ठीक पहले जेडीयू और आरजेडी दमखम दिखाने के लिए तैयार हैं। वैसे तो उसका सीधा असर विधानसभा के चुनावों पर पड़ने की उम्मीद कम है। लेकिन उस जीत का मनोवैज्ञानिक असर दोनों दलों पर पड़ सकता है। दरअसल राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए चुनाव होने जा रहा है और जेडीयू उम्मीदवार हरिवंश के खिलाफ आरजेडी का तरफ से मनोज झा ने नामांकन किया है। इसका अर्थ यह है कि उपसभापति पद के लिए चुनाव होने की संभावना अधिक है।
विपक्ष की आवाज बचाने के लिए चुनावी मैदान में
नामांकन के बाद आरजेडी लीडर मनोज झा ने कहा कि यह लड़ाई उनके और हरिवंश जी के बीच नहीं है, बल्कि दो अलग अलग विचारों के बीच है। हमने देखा है कि पिछले सत्र में किस तरह से संवाद नहीं होने दिया गया और इसके साथ ही विरोधियों के आवाज को दबाने की भी कोशिश की गई। इस तरह के कार्यों से लोकतांत्रिक प्रणाली कमजोर होती है और अंत में किसी की भी जीत नहीं होती है। उनकी लड़ाई सिर्फ और सिर्फ लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए है।
राज्यसभा में इस समय संख्या बल एनडीए के पक्ष में
बता दें कि अप्रैल में उपसभापति का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह पद खाली है और इसके लिए 14 सितंबर को चुनाव होना है। राज्यसभा में इस समय कुल 245 सदस्य हैं, चुनाव होने की सूरत में एनडीए उम्मीदवार का जीतना तय है क्योंकि संख्या बल में एनडीए और उनके सहयोगी बहुमत में हैं। संसद का मानसून सत्र भी 14 सितंबर से निर्धारित है जो एक अक्टूबर तक बिना किसी ब्रेक के चलेगी। इस दफा प्रश्नकाल नहीं होगा।
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