साम-दाम-दंड-भेद...झारखंड का बूढ़ा पहाड़ 32 साल बाद नक्सलियों से हुआ आजाद; CRPF की रणनीति के सामने माओवादी हो रहे फेल

देश
शिशुपाल कुमार
शिशुपाल कुमार | Principal Correspondent
Updated Sep 18, 2022 | 23:28 IST

ऑपरेशन ऑक्टोपस 4 सितंबर को शुरू हुआ था। जिसके बाद सीआरपीएफ और झारखंड पुलिस का बूढ़ा पहाड़ पर शिकंजा कसते गया। जिसके बाद नक्सली यहां से भाग खड़े हुए।

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तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • झारखंड में बूढ़ा पहाड़ ही था नक्सलियों का मुख्य अड्डा
  • कई सालों से इस इलाके में था नक्सलियों का कब्जा
  • अब यहां सीआरपीएफ और झारखंड पुलिस की हुई पहुंच

झारखंड के जिस बूढ़ा पहाड़ पर 1990 के दशक से नक्सलियों का कब्जा था, उसपर अब पुलिस का कब्जा हो गया है। सीआरपीएफ के साम-दाम-दंड और भेद की रणनीति के सामने नक्सलियों का चक्रव्यूह फेल हो गया और वो यहां से भाग खड़े हुए।

ऑपरेशन ऑक्टोपस

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा से लगे गढ़वा जिले में भारी खनन वाले 'बुढ़ा पहाड़' पर से नक्सलियों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन ऑक्टोपस चलाया था। जिसमें उसे अब सफलता मिल गई है। सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एएनआई को बताया कि ऑपरेशन ऑक्टोपस के तहत एक बड़ी सफलता मिली है। सुरक्षा बल, पहली बार इस इलाके से नक्सल प्रभुत्व को खत्म करने में कामयाब रहा है। यहां से पुलिस को भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद मिला है। 

क्या थी रणनीति

इस पहाड़ पर कब्जा करने के लिए सीआरपीएफ कई सालों से एक खास रणनीति पर काम कर रही थी। यहां सीधे हमला न बोलकर नक्सलियों के कमांडरों को टारगेट किया गया था। यह पहाड़ नक्सलियों के बिहार और झारखंड की स्पेशल कमेटी का मुख्यालय था। यहां सबसे पहले पुलिस का निशाना बना था तब का नक्सली कमांडर अरविंद, उस पर एक करोड़ का इनाम था। इसके मरने के बाद सुधाकरण को यहां की कमान सौंपी गई, लेकिन सीआरपीएफ के डर से उसने समर्पण कर दिया। इसके बाद नक्सली के टॉप कमांडर विमल को यहां का जिम्मा मिला, इसे एक छत्तीसगढ़ की लड़की से प्यार हो गया था, सीआरपीएफ ने भुना लिया जिसके बाद विमल का नक्सल आंदोलन में कद घट गया। विमल के बाद यहां का कमांडर बना मिथिलेश महतो को। उधर संगठन से खफा और पुलिस के डर से विमल ने प्रेमिका के साथ आत्मसमर्पण कर दिया।

कई हुए थे शहीद

इस पहाड़ का उपयोग नक्सली अपने छिपने और पड़ोसी राज्यों में जाने के लिए करते थे। इसपर कब्जा करने का पहले भी प्रयास किया गया था, लेकिन सफलता नहीं मिली थी। 2018 में, एक बड़े ऑपरेशन में सुरक्षा बल के पांच जवानों शहीद हो गए थे। जिसके बाद यहां सीआरपीएफ की कोबरा यूनिट, इसकी जीडी बटालियन और झारखंड जगुआर जैसे राज्य पुलिस बल को नक्सलियों के खिलाफ लगाया गया था। 

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