Jharkhand Politics:अभी ज्यादा दिन नहीं हुए, जब झारखंड की सीनियर आईएएस पूजा सिंघल चर्चा में थी। उनकी चर्चा ठीक उसी तरह हो रही थी, जैसे बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी के सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर मिले नोटो के अंबार को लेकर अभी है। ईडी को पूजा सिंघल के करीबी सीए सुमन कुमार के घर 19 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी मिली थी। फिलहाल सिंघल सस्पेंड हैं और ईडी की हिरासत में हैं।
मई में पूजा सिंघल की गिरफ्तारी की आग ठंडी भी नहीं हुई थी, कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा भी ईडी के शिकंजे में आ गए, फिलहाल वह भी ईडी की हिरासत में हैं, लेकिन पेट दर्द में शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती है। ईडी ने अवैध खनन मामले में पंकज मिश्रा और अन्य के 37 बैंक खातों में पड़े 11.88 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की है। और सोरेन के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद पिंटू को भी ईडी ने पूछताछ के लिए समन भेजा है।
मामला यही नहीं रूक रहा है, झारखंड के नेता अब बंगाल पुलिस के निशाने पर हैं। और पहले पश्चिम बंगाल पुलिस ने कांग्रेस के तीन विधायकों नकदी के साथ गिरफ्तार किया और अब झारखंड हाईकोर्ट के सीनियर वकील राजीव कुमार को 50 लाख रुपये कैश के साथ कोलकाता में गिरफ्तार कर लिया है।
तीन महीने से शह-मात का खेल
पिछले 3 महीने से जिस तरह झारखंड में लगातार भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं। उससे यह तो साफ है कि हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ उनके करीबी ईडी के शिकंजे में हैं, वहीं उनकी गठबंधन सरकार में साथी कांग्रेस के नेताओं की बंगाल से गिरफ्तारी भी कई सियासी संदेश दे रही है। खास तौर से वकील राजीव कुमार की गिरफ्तारी भी कई सवाल खड़ी कर रही है। क्योंकि राजीव कुमार , पीआईएल मैन के रूप में चर्चित हैं। और उन्होंने हाल ही में याचिकाकर्ता शिव शंकर शर्मा की ओर से तीन जनहित याचिकाएं दायर की थीं। जिसमें दो याचिकाएं हेमंत सोरेन के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है। इसी तरह आईएएस पूजा सिंघल के खिलाप दायर याचिका में भी राजीव कुमार वकील हैं।
क्या गिर जाएगी हेमंत सोरेन सरकार
इस मामले में झारखंड की राजनीति पर नजर रखने वाले एक सूत्र का कहना है कि देखिए इस समय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चौतरफा घिर गए हैं। उनके सबसे करीबी लोग हिरासत में हैं। ऐसे में साफ है कि ईडी के संदेह के दायरे में वो भी होंगे। लेकिन जहां तक सरकार गिरने की बात है तो ऐसा लगता नही है। क्योंकि भाजपा को लगता है कि मध्यावधि चुनाव कराना उसके लिए लंबे समय के लिए फायदेमंद नहीं होगा। और जिस तरह महाराष्ट्र में उसने यहा साबित करने की कोशिश की कि उद्धव ठाकरे सरकार अपने अंतरविरोध से गिरी है। ऐसा ही वह संदेश यहां भी देना चाहती है। ऐसे में सोरेन सरकार में कमजोर कड़ी कांग्रेस ही है। कांग्रेस के करीब 10 विधायक ऐसे हैं, जो बागी तेवर दिखा रहे हैं। हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव में भी कांग्रेस में क्रॉस वोटिंग देखी गई थी। और फिर जिस तरह तीन विधायकों की गिरफ्तारी हुई है, वह भी झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के संबंधों के बारे में कई संदेश दे रही है।
इस समय 81 सदस्यीय राज्य विधानसभा में झारखंड मुक्ति मोर्चे के पास 30, भाजपा के पास 25, कांग्रेस के पास 16 और आजसू के पास दो सीटें हैं। ऐसे में झारखंड मुक्ति मोर्चे के पास मजबूत बहुमत हैं। लेकिन जिस तरह से 3 विधायक न केवल गिरफ्तार हुए हैं, बल्कि कांग्रेस ने उन्हें निलंबित कर दिया है। और राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग को देखा जाय तो कांग्रेस की स्थिति नाजुक दिखती है।
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क्या झामुमो और कांग्रेस में सब-कुछ ठीक-ठाक
सूत्रों के अनुसार झारखंड में झामुमो और कांग्रेस में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। उसकी बानगी इसी से समझी जा सकती है कि कांग्रेस के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडे , प्रभारी बनने के बाद 5 बार झारखंड आए लेकिन उनकी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात नहीं हुई। छठवीं बार की यात्रा में ही दोनों की मुलाकात हुई। इसके अलावा अंदरखाने ऐसी खबर हैं कि झामुमो भी कांग्रेस से दूरी बनाकर रखना चाहती है। क्योंकि ऐसा होने से उसके पास शह-मात का खेल करने का मौका है। अब देखना है कि यह राजनीतिक खींचतान किस ओर बढ़ती है।
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