Jharkhand Political Crisis: झारखंड में सियासी संकट के बीच शनिवार (27 अगस्त, 2022) को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक राजधानी रांची से खूंटी जिला के एक गेस्ट हाउस पहुंचे। ये सारे लोग तीन लग्जरी बसों के जरिए जोड़-तोड़ के डर के बीच वहां शिफ्ट किए गए। सभी विधायक लतरातू डैम के पास स्थित एक रिसॉर्ट में ठहरे, जहां उन्होंने बोटिंग का आनंद भी लिया।
डैम में बोटिंग के दौरान सीएम सोरेन के साथ कांग्रेस प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष राजेश ठाकुर, विधायक दीपिका पांडे, सीता सोरेन, अंबा, अनूप और नेहा आदि मौजूद रहे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिसॉर्ट में इन सब ने खासी भात का भी आनंद लिया।
शनिवार शाम जब कुछ-कुछ देर के अंतराल पर सीएम और उनके विधायकों से जुड़े फोटो वीडियो आने लगे तो सोशल मीडिया यूजर्स भी कमेंट्स करने से खुद को न रोक सके। माइक्रो ब्लॉगिंग प्लैटफॉर्म टि्वटर पर @DuttaAnand के हैंडल से सोरेन और उनके साथ विधायकों की बस और बोट वाली तस्वीरें साझा करते हुए लिखा गया- रिजॉर्ट पॉलिटिक्स नहीं, पिकनिक पॉलिटिक्स पर निकले हेमंत सोरेन। और कितना जलाएंगे...उनको (विरोधियों को)?
@123naveendKY ने लिखा, "घोटाला करके पिकनिक मना रहे हैं। झारखंड की जनता की कोई चिंता नहीं है।"
@ChiragGahlaut के हैंडल से कहा गया कि यह कुर्सी का चक्कर है बाबू भैया। @souvik_4813 ने कहा कि आग लगी है बस्ती में, हम अपनी मस्ती में। @DrAmeetThanky के हैंडल से कहा गया, "यह चीज दर्शाती है कि इन लोगों को अपने अयोग्य होने की कोई फिक्र नहीं है।" @HarHarshiva ने कहा- वह आनंद ले रहे हैं और भाजपा पर अपनी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगा रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
चुनाव आयोग (ईसी) ने 25 अगस्त को राज्यपाल को अपनी राय भेजी थी कि खनन पट्टा खुद को ही आवंटित करने पर चुनावी नियमों के उल्लंघन को लेकर सोरन को विस की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया जाए। राज भवन सूत्रों के हवाले से पीटीआई की रिपोर्ट में कहा गया कि राज्यपाल शनिवार को ईसी को सोरेन को विधायक के रूप में अयोग्य ठहराने का अपना फैसला भेज सकते हैं।
इस बीच, याचिकाकर्ता भाजपा ने सरकारी ठेकों के कारण जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा नौ (ए) का उल्लंघन करने को लेकर सोरेन को विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराने की मांग की। यह मामला राज्यपाल के पास भेजा गया था जिन्होंने इसे ईसी के पास भेज दिया क्योंकि संविधान का अनुच्छेद 192 कहता है कि किसी विधायक को अयोग्य ठहराने के संबंध में , इस प्रश्न को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा जो चुनाव आयोग से राय हासिल करेंगे और उसके आधार पर फैसला करेंगे।
मौजूदा समय में झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 49 विधायक हैं। उनमें सबसे बड़ी पार्टी झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद के एक विधायक हैं। सदन में मुख्य विपक्षी दल भाजपा के 26 विधायक हैं।
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