नई दिल्ली: 'मेरे राजनीतिक जीवन का एक नया अध्याय शुरू हो रहा है। मेरा कांग्रेस पार्टी के साथ तीन पीढ़ियों का साथ रहा है। मैंने जो निर्णय लिया है वो बहुत विचार, सोच और मंथन के बाद मैं इस फैसले पर पहुंचा हूं। सवाल ये नहीं है कि आज मैं किस दल को छोड़कर जा रहा हूं, मगर सवाल ये है कि मैं किस दल में जा रहा हूं और क्यों जा रहा हूं? ये मैंने पिछले कुछ वर्षों से , 8-10 साल से महसूस किया है, अपने अनुभव और राजनीतिक जीवन में, लोगों से बात करके, भ्रमण करके, कि आज देश में अगर कोई सही मायने में राजनीतिक दल है, या संस्थागत है तो वह भारतीय जनता पार्टी है, बांकि दल तो व्यक्ति विशेष और क्षेत्र के हो गए..।' कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के बाद बुधवार को जितिन प्रसाद ने खुद ये बात कही।
हो रही हैं तमाम चर्चाएं
जितिन प्रसाद के उपरोक्त कथन पर अगर नजर डाली जाए तो उसमें कई बातें सामने निकलकर आती है। पहला तो ये कि वो कांग्रेस से बाहर निकलने की काफी समय से सोच रहे थे, दूसरा- उन्हें जिस राहुल गांधी का करीबी माना जाता था, वो जितिन प्रसाद कांग्रेस को 'व्यक्ति विशेष दल' मानते हैं। जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने से तमाम तरह की बातें कहीं जा रही हैं, कोई कह रहा है कि इससे बीजेपी को यूपी में फायदा होगा और ब्राह्मण वोट बैंक को मजबूती से साथ रख सकेगी, तो दूसरी तरफ ये भी कहा जा रहा है कि जितिन प्रसाद जो खुद लगातार लोकसभा चुनाव हारने के बाद यूपी पंचायत चुनाव में भी अपनी भाभी तक को नहीं जितवा सके, उनके जाने से कांग्रेस को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह ने बताई जितिन को बीजेपी में लाने की वजह
जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने को लेकर जब हमने वरिष्ठ पत्रकार और राजीतिक विश्लेषक प्रदीप सिंह से बात की तो उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता है कि बीजेपी ने जितिन प्रसाद को इसलिए लिया है कि उससे यूपी में बीजेपी को कोई फायदा हो जाएगा या ब्राह्मण वोटों पर कोई फर्क पड़ जाएगा। उद्देश्य ये है कि राहुल गांधी के करीबी लोग, जो उनकी मित्र मंडली थी वो कांग्रेस छोड़ रहे हैं। सिधिंया गए, जितिन प्रसाद गए, पायलट बगावत पर आमादा है.. उधर मिलिंद देवड़ा नाराज हैं। बीजेपी ये भी दिखाना चाहती है कि राहुल गांधी पर उनके करीबियों का भी भरोसा नहीं है। ये जो लोग जा रहे हैं सब युवा हैं। एक यूथ को छोड़कर जिस पार्टी का 70 साल का नेता है वहां जा रहे हैं लोग।'
ब्राह्मण वोट पर पड़ेगा कोई फर्क
जब हमने प्रदीप सिंह से सवाल किया कि क्या जितिन प्रसाद के आने से ब्राह्मण वोट बैंक पर फर्क पड़ेगा, तो उन्होंने कहा, 'ब्राह्मणों को जितिन प्रसाद के आने से बुरा थोड़ा ना लगेगा? लेकिन कोई क्रांति नहीं होने वाली है। ब्राह्मण जनसंघ के समय से बीजेपी का सपोर्ट करते रहे हैं.. ये जो ट्रेंड हैं लगातार युवा नेताओं का पार्टी छोड़ना, वो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठा रहा है कि उनके अपने लोगों को उन पर भरोसा नहीं है तो फिर जनता क्यों भरोसा करे और यही मैसेज देने की बीजेपी कोशिश करे। यह कांग्रेस के लिए तो जो भी हो, लेकिन प्रियंका और राहुल गांधी की इमेज के लिए जरूर झटका है।'
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के करीबी माने जाने वाले जितिन प्रसाद यूपीए सरकार के दौरान केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और कांग्रेस के युवा कद्दावर नेताओं में उनकी गिनती होते रही है। जितिन प्रसाद भले ही कुछ कहें लेकिन यूपी में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में जितिन प्रसाद का बीजेपी में शामिल होना, एक तरह से अपनी खिसकती राजनीतिक जमीन को बचाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार शिवाजी सरकार की राय
जितिन प्रसाद के बीजेपी शामिल होने पर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शिवाजी सरकार कहते हैं, 'जितिन प्रसाद के कद की तुलना अगर उनके पिताजी से की जाए तो यह बिल्कुल बेमानी होगी। जितिन प्रसाद के बीजेपी में आने से भाजपा को कोई बड़ा फायदा नहीं होने वाला है, क्योंकि हालियां दिनों में उनका प्रदर्शन कैसा रहा है यह सर्वविदित है और उनके जाने से राहुल गांधी कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। वहीं बीजेपी में बड़े ब्राह्मण नेताओं की कमी नहीं है, और ऐसे में यूपी में वह बीजेपी का बड़ा चेहरा होंगे यह कहना भी अतिशयोक्ति होगी।' शिवाजी सरकार मानते हैं कि अगर बीजेपी जितिन प्रसाद को यूपी में ब्राह्मण नेता के तौर पर आगे करती हैं तो भाजपा को प्रदेश के बड़े ब्राह्मण नेताओं में नाराजगी भी हो सकती है क्योंकि यहां कई बड़े नेता हैं और हाल के दिनों में यूपी बीजेपी में ब्राह्मण- ठाकुर को लेकर कैसी बहस हुई है ये किसी से छिपी नहीं है।
जितिन प्रसाद ने किया है ब्राह्मण चेतना परिषद का गठन
वहीं कुछ विश्लेषक अभी भी मानते हैं कि जितिन प्रसाद को पार्टी में लाने से बीजेपी यूपी में ब्राह्मणों की नाराजगी को दूर कर सकती है। बीजेपी से जुड़ने से पहले पिछले साल जितिन प्रसाद ने ब्राह्मण चेतना परिषद नाम से एक संगठन बनाया था जिसके जरिए वो ब्राह्मण समाज के लोगों से ऑनलाइन बातचीत भी करते हैं। अब ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि जितिन प्रसाद का बीजेपी में जाना कांग्रेस को कितना नुकसान करता है और बीजेपी को कितना फायदा, इसकी झलक अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकती है।
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