जेएनयू प्रशासन और छात्र संघ फिर आमने-सामने, अब दिल्‍ली दंगा बनी वजह

देश
श्वेता कुमारी
Updated Mar 01, 2020 | 00:39 IST

जेएनयू प्रशासन और छात्र संघ एक बार फिर आमने-सामने है। इस बार टकराव की वजह दिल्‍ली दंगा बनी है, जिसे लेकर दोनों के रुख बिल्‍कुल अलग हैं। प्रशासन ने छात्रों को 'अनुशासनात्‍मक कार्रवाई' की चेतावनी भी दी है।

JNU administration and students union face off over shelter call by JNUSU for riot victims
मुस्‍तफाबाद में चमन पार्क इलाके के लोगों ने एक घर में शरण ली है   |  तस्वीर साभार: PTI

नई दिल्‍ली : राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) का प्रशासन और छात्र संघ एक बार फिर आमने-सामने है। इस बार मुद्दा दिल्‍ली का दंगा बना है। प्रशासन ने जहां छात्रों को चेताया है कि वे दंगा पीड़‍ितों को कैंपस में पनाह लेने के लिए खुला आमं‍त्रण न दें, वहीं जेएनयू छात्र संघ अपने इस रुख पर बरकरार है कि जेएनयू ने 1984 में भी दंगा पीड़‍ितों को आश्रय दिया था और यह आज भी ऐसे लोगों के लिए खुला है। प्रशासन ने इस पर 'अनुशासनात्‍मक कार्रवाई' की चेतावनी भी दी है, लेकिन वे इसे अनसुना करते नजर आ रहे हैं।

वीसी ने चेताया
जेएनयूएसयू के इस रुख के बाद अब कुलपति जगदीश कुमार ने भी छात्रों को चेताया है। उन्‍होंने कहा, 'हम दिल्‍ली में शांति व सौहार्द चाहते हैं। प्रभावित लोगों को हर संभव मदद द‍िए जाने की जरूरत है। ऐसा कारने में कोई दिक्‍कत भी नहीं है, लेकिन कैंपस की सुरक्षा को भी ध्‍यान में रखना होगा, जो सबसे ऊपर है।' उन्‍होंने कहा कि कैंपस के जिन कुछ छात्रों ने 'बाहरी लोगों' को यहां आकर रहने के लिए खुला आमंत्रण दिया है, उन्‍हीं लोगों ने जनवरी में कैंपस के भीतर बाहरी लोगों के घुस आने की आलोचना की थी।

अपने रुख पर कायम छात्र
वीसी ने कहा, 'कैंपस की सुरक्षा बहुत महत्‍वपूर्ण है और इसलिए हमने अपने छात्रों को सलाह दी है कि वे बाहरी लोगों को यहां आकर रहने के लिए खुला आमंत्रण न दें। इसके बजाय आप कैंपस से जरूरी सामान एकत्र कर प्रभावित लोगों की मदद कर सकते हैं, जिसमें जेएनयू प्रशासन भी आपका सहयोग करेगा।' हालांकि छात्रसंघ दंगा पीड़‍ितों को आश्रय देने के अपने रुख पर कायम है।

जेएनयूएसयू ने किया ट्वीट
जेएनयूएसयू की ओर से ट्वीट कर कहा गया, 'प्रशासन की ओर से हमे चेताया गया है कि अगर हमने उन लोगों को आश्रय दिया, जिन्‍होंने दिल्‍ली जनसंहार 2020 में अपना सबकुछ खो दिया तो हमारे खिलाफ अनुशासनात्‍मक कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद हम एक बार फिर कहना चाहतें हैं कि जेएनयू इस सामूहिक हत्‍या के पीड़‍ितों के लिए सुरक्षित आश्रयस्‍थल है। मानवता किसी भी प्रशासनकि चेतावनी से ऊपर है।'

यहां उल्‍लेखनीय है कि दिल्‍ली के उत्‍तर-पूर्वी इलाके में 23 फरवरी को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर इसके समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़प हुई थी, जिसके बाद यहां बड़ा दंगा भड़क गया। दो समुदायों के बीच नफरत के इस खूनी खेल में मरने वालों का आंकड़ा 40 को पार कर गया है, जबकि 300 से अधिक लोग इस हिंसा में घायल हुए हैं। फिलहाल प्रभावित इलाकों में तनावपूर्ण शांति है। सुरक्षा बलों के जवान लगातार इन इलाकों में गश्‍त कर रहे हैं। मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई है।

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