Jyotiraditya Scindia Family: कौन हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया, जानिए उनकी फैमिली और राजनीतिक करियर के बारे में

देश
 सृष्टि वर्मा
Updated Mar 11, 2020 | 15:04 IST

Jyotiraditya Scindia Family: ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद से ही मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। इस बीच जानें सिंधिया परिवार के बारे में विस्तार से-

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ज्योतिरादित्य सिंधिया परिवार  |  तस्वीर साभार: BCCL

नई दिल्ली : मध्य प्रदेश कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी से इस्तीफे और फिर बीजेपी में शामिन होने की खबरों के बाद देश की राजनीति में हलचल मच गई है। ग्वालियर के राजघराने से शुरू हुआ उनके राजनीतिक करियर का मोड़ अब मध्य प्रदेश की राजनीति में किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रह गया है।

अपने पिता माधवराव सिंधिया के जन्मदिन पर पार्टी से इस्तीफा देना ना सिर्फ एमपी में बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। ग्वालियर के राजघराने का ये सिंधिया परिवार शुरू से ही कांग्रेस पार्टी के राहुल गांधी के परिवार के काफी करीब रहा है। अगर आप ज्योतिरादित्य सिंधिया का परिवार, पत्नी, बच्चे व अन्य दूसरी चीजों के बारे में जानना चाहते हैं तो पढ़ें-

जन्मस्थान
ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी 1971 में मुंबई में हुआ था। अपने पिता के निधन के कुछ ही महीनों के बाद उन्होंने 2002 में  दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि उनका पालन पोषण काफी सख्त तरीके से हुआ था। उनके पिता उनके सबसे अच्छे मित्र थे जिन्हें वे बाबा कहते थे। अपनी बहन चित्रांगदा राजे के साथ अपनी बचपन की कई यादों को उन्होंने साझा किया था। पिता के निधन के बाद उनकी मां माधवी राजे ने ही उन्हें पाला था। माधवी राजे नेपाल के प्रधानमंत्री की परपोती थीं। 

स्कूल की पढ़ाई लिखाई 
ज्योतिरादित्य सिंधिया की स्कूली पढ़ाई मुंबई के कैंपियन स्कूल से हुई, बाद में उन्होंने देहरादून के मशहूर दून स्कूल से आगे की पढ़ाई की। टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपना अनुभव साझा किया था जिसमें उन्होंने बताया था कि राजघराने से आने के बाद दून स्कूल में करीब 660 बच्चों के बीच उन्हें किस तरह से बिल्कुल अलग तरह से ट्रीट किया जाता था। 

पालन पोषण
2002 में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि अपने व्यस्त कामों से समय निकाल कर बाबा हमेशा ये सुनिश्चित करते थे कि कम से कम साल में एक बार परिवार के साथ छुट्टियां बिताया जाए। ग्वालियर के अलावा गर्मियों की छुट्टियों में हम लंदन या यूरोप के अन्य हिस्सों में घूमने जाते थे। कभी-कभी हम कश्मीर, मदुमलाई, पेरियार, कोयंबटूर और कोणार्क जाया करते थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया को कार ड्राइविंग का काफी शौक है। 

हायर एजुकेशन
19 साल की उम्र में वे उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया इसके बाद वे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी गए। इन दोनों जगहों पर उन्होंने अच्छे मेरिट से डिग्री प्राप्त की। वहां पर वे अन्य दूसरे छात्रों की तरह डॉरमेट्री में रहते थे। उन्होंने बताया था कि अमेरिका में रहने के दौरान उन्होंने काफी अच्छा वक्त बिताया और काफी अच्छे अनुभव रहे। 

नौकरी व करियर
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी पढ़ाई के बाद करीब साढ़े चार सालों तक न्यूयॉर्क में में हांग कांग में और फिर मुंबई में काम किया। उन्होंने बताया था कि प्रतिष्पर्धी माहौल में काम करने का उनका अनुभव बेहद नया व अनोखा था।

इंडिया लंबे समय के बाद वे ग्वालियर लौट कर आए। वे अब राजघराने के सदस्य से इतर भारत में अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते थे। उन्होंने कहा था कि बाबा हमेशा कहते थे कि मुझे कभी सिंधिया परिवार पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। कोई व्यक्ति खुद के बलबूते क्या हासिल करता है वह असल में मायने रखता है।

शादी और बच्चे
ज्योतिरादित्य सिंधिया की शादी दिसंबर 1994 में हुई थी। उनके दो बच्चे हैं- बेटा महानार्यमान और बेटी अनन्या राजे। 24 वर्षीय महानार्यमान ने अपने अकाउंट से एक फोटो ट्वीट किया था जिसपर उन्होंने लिखा था कि मुझे अपने पिता पर गर्व है कि उन्होंने अपने लिए स्टैंड लिया। इतनी बड़ी व पुरानी पार्टी से इस्तीफा देने के लिए भी साहस चाहिए।

इतिहास इसका गवाह है कि हमारे परिवार ने कभी भी सत्ता का लालच नहीं किया। मुझे यकीन है कि वे भारत और मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लेकर आएंगे। ये सिंधिया का वही बेटा है जिनके ग्रेजुएशन सेरेमनी में ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद थे। आर्यमान को ये डिग्री येल यूनिवर्सिटी में बीए पूरी करने के बाद दिया गया था। उन्होंने फोटो ट्वीट करते हुए लिखा था कि हम सबको तुम पर गर्व है।   

राजनीतिक करियर
30 सितंबर 2001 में जब माधवराव सिंधिया का निधन प्लेन क्रैश में हुआ था तब ज्योतिरादित्य सिंधिया मुंबई में थे। इसके कुछ महीनों के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की। 2002 में गुना से संसदीय उप चुनाव की लड़ाई लड़ी जिसमें उन्होंने 4.5 लाख वोटों से जीत हासिल की। ये वही सीट थी जहां से उनके पिता सांसद थे। 2004, 2009 और 2014 में भी वे चुनाव जीत कर आए। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी उम्मीदवार से हार मिली थी। 

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