नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने एक यूपी सरकार को खत लिखकर प्रवासी मजदूरों के लिए बस उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया। लेकिन इसके साथ सियासत ने भी अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाया कि यूपी सरकार बसों के मुद्दे पर अनुमति नहीं दे रही है। सोमवार रात यूपी सरकार की तरफ से जवाब भेजा गया कि चालकों और परिचालकों की लिस्ट के साथ बसों को लखनऊ भेजा जाए।
प्रवासी मजदूर एक तरफ, अब बसों पर सियासत
इस प्रस्ताव पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बिफर पड़ीं और कहा कि मजदूर बार्डर पर फंसे हैं और सरकार बसों को लखनऊ मंगा रही है। लेकिन इसमें बड़ा ट्विस्ट यह आया जब बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस की तरफ से जिन बसों को भेजने की बात की जा रही है वो तो बस हैं ही नहीं। कपिल मिश्रा के साथ साथ बीजेपी के दूसरे नेताओं मे लिस्ट में शामिल बसों का नंबर शेयर करते हुए पूछा कि क्या एंबुलेंस और मिनी कार को बसों की कैटेगरी में डाला जा सकता है।
प्रियंका गांधी ने योगी सरकार को जो बसों के नम्बरों की लिस्ट भेजी वो ऑटो रिक्शा और मिनी कार के नम्बर निकले। गरीब मजदूरों के नाम पर ये बेहूदा तमाशा क्यूँ? वो कहते हैं कि कांग्रेस को हमेशा से लाइमलाइट में रहने की आदत रही है वो भला कहां छूटने वाला है। आज जब कोरोना काल में केंद्र और यूपी की सरकार प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए कृतसंकल्पित है तो कांग्रेस का यह सब नागवार लगा। हमेशा की तरह सियासी समंदर में डुबकी लगाने वाली कांग्रेस को इसमें अपने लिए अवसर दिखाई दिया। लेकिन कांग्रेस के नेताओं ने खुद किरकिरी करा ली।
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