Kapil Sibal : सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के बारे में टिप्पणी कर वरिष्ठ वकील एवं राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल बार एसोसिएशन एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निशाने पर आ गए हैं। दरअसल, सिब्बल ने शीर्ष अदालत के हाल के कुछ फैसलों पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि 'अब उन्हें इस संस्था से उम्मीद नहीं बची है।' पीपुल्स ट्रिब्यूनल के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ वकील ने शनिवार को कहा कि 'आपको यदि ऐसा लगता है कि आप सुप्रीम कोर्ट से राहत पाने जा रहे हैं तो आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। ऐसा मैं सुप्रीम कोर्ट में 50 साल की प्रैक्टिस करने के बाद कह रहा हूं।' सिब्बल ने कहा कि शीर्ष अदालत से यदि कोई ऐतिहासिक फैसला आता भी है तो यह जमीन पर मुश्किल से कोई बदलाव करता है।
'इस संस्था से कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए'
सिब्बल ने कहा, 'इस साल सुप्रीम कोर्ट में मेरी प्रैक्टिस के 50 साल पूरे हो जाएंगे। 50 साल की प्रैक्टिस करने के बाद मुझे लगता है कि मुझे इस संस्था से कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए। आप सुप्रीम कोर्ट के प्रगतिशील फैसलों के बारे में बात करते हैं लेकिन उसके फैसले और जमीनी हालात में बहुत बड़ा अंतर है। सुप्रीम कोर्ट ने निजता पर फैसला दिया और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी आपके घर चले आते हैं...आपकी निजता कहां है?'
'टिप्पणी सिब्बल की मौजूदा सोच को दर्शाती है'
सिब्बल की इस राय पर केंद्रीय कानून मंत्री किरण रीजीजू ने प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'एससी के बारे में कपिल सिब्बल ने जो बात कही है वह उनकी मौजूदा सोच को दर्शाता है। कांग्रेस और उसकी जैसी विचारधारा वाले लोग ऐसा सोचते हैं कि कोर्ट एवं संवैधानिक संस्थाओं को उनकी हर बात का समर्थन करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो ये लोग संवैधानिक संस्थाओं को कोसना शुरू कर देते हैं।' कानून मंत्री ने कहा कि यह दुखद है कि बड़े नेता एवं राजीतिक दल संवैधानिक संस्थाओं एवं एजेंसियों की आलोचना कर रहे हैं।
बार एसोसिएशन ने की आलोचना
सिब्बल ने आरोप लगाते हुए कहा कि राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले 'कुछ खास जजों को दिए जाते हैं'। उन्होंने कहा कि फैसला क्या आएगा, यह भी पहले ही बताया जा सकता है। वहीं, सिब्बल के बयान पर बार एसोसिएशन ने भी निराशा जताई है। बार ऐसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आदिश सी अग्रवाल ने कहा है कि उनका बयान कोर्ट की अवमानना है। उन्होंने कहा, 'सिब्बल न्याय व्यवस्था का एक अभिन्न अंग हैं, लेकिन अगर उन्हें वास्तव में अदालत से कोई उम्मीद नहीं है, तो वह अदालतों के सामने पेश न होने के लिए स्वतंत्र हैं।'
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