कृषि कानूनों के खिलाफ केरल का बड़ा कदम, विधानसभा में प्रस्‍ताव पारित, एकमात्र BJP MLA ने भी दिया समर्थन

देश
Updated Dec 31, 2020 | 15:42 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन के बीच केरल विधानसभा में एक प्रस्‍ताव लाकर इन कानूनों को वापस लेने की मांग की गई। इस प्रस्‍ताव को राज्‍य में एकमात्र बीजेपी विधायक का भी समर्थन मिला।

कृषि कानूनों के खिलाफ केरल का बड़ा कदम, विधानसभा में प्रस्‍ताव पारित, एकमात्र BJP MLA ने भी दिया समर्थन
कृषि कानूनों के खिलाफ केरल का बड़ा कदम, विधानसभा में प्रस्‍ताव पारित, एकमात्र BJP MLA ने भी दिया समर्थन  |  तस्वीर साभार: ANI

तिरुवनंतपुरम : केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्‍ली से सटी सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन के बीच केरल में सरकार इसके खिलाफ विधानसभा में प्रस्‍ताव लेकर आई, जिसे सर्वसम्‍मति से पारित कर दिया गया। सबसे हैरान करने वाली बात इसमें यह रही कि राज्‍य में बीजेपी के एकमात्र विधायक ओ राजगोपाल ने भी केरल सरकार के उस प्रस्‍ताव का समर्थन किया, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग गई है।

बीजेपी विधायक ने भी किया प्रस्‍ताव का समर्थन

विधानसभा सत्र के बाद राजगोपाल ने पत्रकारों से कहा, 'प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। मैंने कुछ बिंदुओं (प्रस्ताव में) के संबंध में अपनी राय रखी, इसको लेकर विचारों में अंतर था, जिसे मैंने सदन में रेखांकित किया। मैंने प्रस्ताव का पूरी तरह से समर्थन किया।' उन्‍होंने कहा कि वह इस संबंध में सदन की आम राय से सहमत हैं और केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। इस बारे में पूछे जाने पर कि क्‍या वह पार्टी के रुख के खिलाफ जा रहे हैं? उन्होंने कहा कि यह लोकतांत्रिक प्रणाली है और हमें सर्वसम्मति के अनुरूप चलने की जरूरत है।

इससे पहले विधानसभा सत्र में चर्चा के दौरान हालांकि उन्‍होंने कहा था कि नए कानून किसानों के हितों की रक्षा करेंगे और बिचौलियों से बचा जा सकेगा।

केरल में किसानों के मुद्दों पर चर्चा करने और उनके साथ एकजुटता जाहिर करने के लिए विधानसभा का एक घंटे का विशेष सत्र गुरुवार को बुलाया गया, जिसमें सीएम पिनराई विजयन ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पेश करते हुए इन्‍हें तत्काल वापस लिए जाने की मांग की और कहा कि देश किसानों द्वारा किए गए इतिहास के अब तक के सबसे प्रभावशाली प्रदर्शनों में से एक को देख रहा है। उन्‍होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानून बस 'कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने वाले' हैं और ये वास्‍तव में 'किसान विरोधी' हैं।

'...तो भूख से मर जाएगा केरल'

सीएम ने कहा कि कड़ाके की ठंड के बीच किसानों का प्रदर्शन पिछले एक महीने से भी अधिक समय से जारी है और इस दौरान 30 से अधिक किसानों की जान चली गई है। जब लोगों को उनके जीवन को प्रभावित करने वाले किसी मुद्दे की चिंता हो, तब राज्‍य विधानसभाओं की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे इस पर गंभीरता से विचार करें। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ऐसे समय में यह विवादास्पद कानून लेकर आई है, जब कृषि क्षेत्र पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रहा है।

किसान आंदोलन के कारण केरल पर होने वाले असर का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा, 'मौजूदा हालात को देखते हुए साफ प्रतीत होता है कि अगर किसानों का प्रदर्शन इसी तरह जारी रहा तो इससे केरल भी गंभीर रूप से प्रभावित होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यदि दूसरे राज्‍यों से खाद्य सामग्रियों की आपूर्ति बंद हो जाए तो केरल भूखे मर जाएगा।' केरल की LDF सरकार की ओर से लाए गए इस प्रस्‍ताव को कांग्रेस और अन्‍य दलों ने भी समर्थन दिया।

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