तिरुवनंतपुरम : केरल हाई कोर्ट ने श्री पूर्नाथ्रईसा मंदिर से संबंधित एक न्यूज रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है, जिसमें श्रद्धालुओं द्वारा 12 ब्राह्मणों के पैर धोने की बात कही गई है। आरोप है कि पाप के प्रायश्चित के नाम पर उनसे ऐसा कराया गया। इस संबंध में एक न्यूज रिपोर्ट मलयालम दैनिक में प्रकाशित की गई थी और सवाल उठाए गए थे कि आखिर किस तरह के रस्म-रिवाज मंदिरों में हो रहे हैं? मंदिर प्रशासन ने हालांकि आरोपों से इनकार किया है।
इस न्यूज रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद से यह केरल में एक बड़ा मसला बन गया, जिस पर हाई कोर्ट ने भी संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस मामले में मंदिर प्रशासन से जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई के दौरान कोचीन देवासम बोर्ड की ओर से पेश हुए वकील ने इस पर मंदिर प्रशासन का पक्ष रखने और इस मामले में हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा, जिसकी अनुमति अदालत ने दे दी है।
अदालत में सुनवाई के दौरान कोचीन देवासम बोर्ड की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने न्यूज रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि श्रद्धालुओं ने ब्राह्मणों के पैरे नहीं धोए थे। 12 पुजारियों के पैर मंदिर के थंत्री (मुख्य पुजारी) ने धोए थे और यह 'पंथरांडू नमस्कारम' की प्रक्रिया का हिस्सा था।
इस मामले की सुनवाई अब 25 फरवरी को होगी। कोचीन देवासन बोर्ड की ओर से इस मामले में विस्तृत जवाब देने और हलफनामे के लिए दो सप्ताह का समय मांगा गया था, जिसकी अनुमति प्रदान करते हुए कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 25 फरवरी तय की है।
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