देश में इस वक़्त सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा केंद्र सरकार के वो तीन कृषि सुधार कानून हैं जिसका विरोध तमाम किसान संगठनों के साथ ही कांग्रेस पार्टी भी कर रही है। जहां एक तरफ राहुल गांधी संसद सत्र के दौरान किसानों के समर्थन में ट्रैक्टर चला चुके हैं वहीं प्रियंका गांधी भी लगातार इस मुद्दे पर सरकार पर हमलावर रही हैं. लेकिन पिछले 2 साल में 'किसान कांग्रेस' का अध्यक्ष तक न खोज पाना पार्टी की किसानों के प्रति संजीदगी पर सवाल खड़े करती है।
नाना पटोले के पद छोड़ने के बाद भी किसान कांग्रेस का ऑफिस पार्टी मुख्यालय में था। लेकिन कई महासचिव और सचिवों की नियुक्ति के बाद कमरे इनको दे दिए गए, ऐसे में किसान आंदोलन के शुरू होने के बाद से 'किसान कांग्रेस' ने कई प्रदर्शन बिना अध्यक्ष और दफ़्तर के किए।
नए कृषि कानूनों के आने के बाद किसान कांग्रेस ने कई प्रदर्शन किए जिनकी अगुवाई उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी ने की, लेकिन बाद में सुरेंद्र सोलंकी ने भी संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को साफ कह दिया कि उन्हें अध्यक्ष बना दिया जाए। लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा कोई फैसला न लिए जाने से निराश सोलंकी ने किसान कांग्रेस से किनारा कर लिया।
नतीजन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा कांग्रेस की किसानों को लेकर जमीन पर मौजूदगी न के बराबर हो गयी है।फिलहाल अपने पिता की मौत के बाद से सोलंकी पालम 360 खाप का काम देख रहे हैं। इस मामले पर हमने जब पार्टी के एक बड़े नेता से पूछा तो उन्होंने कहा कि जल्द ही किसान कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुना जाएगा।
लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ किसान कांग्रेस का ये हाल है। पार्टी के मीडिया डिपार्टमेंट समेत कई विभाग में यही स्थिति है। मौजूदा मीडिया इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला महासचिव और कर्नाटक का प्रभारी बनाये जाने के बाद अपना विकल्प तलाशे जाने की बात रख चुके हैं। सवाल ये है कई विभागों समेत पार्टी के पूर्णकालिक अध्यक्ष बिना कांग्रेस पार्टी 2024 की चुनौती का सामना कैसे करेगी?
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