नई दिल्ली। देश के अलग अलग हिस्सों की तरह कर्नाटक भी कोरोना का सामना कर रहा है। आम जनता वायरस से बचाव के लिए घरों में कैद थी। लेकिन ऐसा कुछ हुआ कि लोग घरों से बाहर निकल पड़े। लोगों को अजीबो गरीब आवाज सुनाई पड़ी और कंपन महसूस हुआ। चेहरे पर डर और दहशत दोनों थी। लोगों को लगा कि धरती डोल गई है और उसका असर सतह पर पड़ा। कुछ लोगों को लगा शायद भूकंप वजह हो तो कुछ लोगों तो लगा कि ये तो सोनिक बूम थी। लेकिन एचएएल ने सोनिक बूम की खबरों को निराधार बताया।
सुपर सोनिक या सोनिक बूम
आम तौर पर हम 20 से लेकर 20 हजार हर्ट्ज की आवास सुन पाते हैं। अगर 20 से कम है को वो इंफ्रासोनिक और 20 हजार के ऊपर सुपरसोनिक होती है। निर्वात में ध्वनि की रफ्तार 332 मीटर प्रति सेकेंड होती है। इसका अर्थ यह है सामान्य तौर पर आवाज एक सेंकेंड में 332 मीटर दूरी तय करती है। लेकिन जब यह सीमा बढ़ जाती है तो उस ध्वनि को सुपर सोनिक कहते हैं। सुपर सोनिक बूम या सोनिक बूम का निर्माण आमतौर पर लड़ाकू विमानों के जरिए होता है। इसमें आवाज की रफ्तार 1238 किमी प्रति घंटे से ज्यादा होती है सोनिक बूम चौंका देने वाली तरंगें होती हैं, जब विमान इस गति से उड़ान भरते हैं को जमीन पर बम के फटने या बादलों की गड़गड़ाहट जैसी आवाज आती है।
कोनिकल शेप में ध्वनि तरंगे
जानकार बताते हैं कि सुपरसोनिक विमानों से आवाज के रूप में जो तरंगे निकलती हैं वो कोनिकल वेभ की तरह होती हैं और इसकी वजह से ध्वनि ऊर्जा संचित होती है और जब लड़ाकू विमान सतह से ऊपर ज्यादा उड़ान नहीं भरती हैं तो विस्फोट की आवाज सुनाई आती है और घरों के दरवाजे और खिड़कियां टूट जाती हैं और लोगों को लगता है कि जमीन के अंदर हुई हलचल का असर जमीन पर दिखाई और सुनाई पड़ रहा है।
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