सोमवार के दिन जया बच्चन की बहू ऐश्वर्या राय से प्रवर्तन निदेशालय ने करीब 6 घंटे तक पनामा केस में पूछताछ की। ऐश्वर्या राय सिर्फ फिल्मी हस्ती नहीं है बल्कि जया बच्चन समाजवादी पार्टी की सांसद की बहू भी हैं। ईडी के दफ्तर में उनकी बहू से पूछताछ कर रही थी तो दूसरी तरफ उनकी सास यानी जया बच्चन दहाड़ भरी आवाज में मौजूदा सरकार को श्राप दे रही थीं। उन्होंने कहा कि आप के बुरे दिन वाले हैं। लेकिन भारतीय राजनीति में श्राप कथा का इतिहास पुराना है। 1970 के दशक में करपात्री महाराज ने इंदिरा गांधी का श्राप दिया था। यहां बताएंगे कि वो कौन कौन सी राजनीतिक हस्तियां हैं जिन्हें समय समय पर इस तरह से श्राप का सामना करना पड़ा।
1965-66 और करपात्री महाराज का श्राप
1965-66 का वो साल था, नवंबर में ठंड दस्तक दे चुकी थी। लेकिन संसद के बाहर सरगर्मी थी। बड़ी संख्या में साधु और संत गोहत्या बंद कराने के लिए संसद की घेराबंदी किए हुए थे। साधु संत समाज संसद में दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन पुलिस अड़ी हुई थी। पहले वाद विवाद हुआ और उसके बाद पुलिस की तरफ से आंसू गैस और लाठीचार्ज किया गया। लेकिन भीड़ संसद में दाखिल होने के लिए आमादा थी। पुलिस ने फायरिंग की जिसमें सात लोगों की मौत और 100 से अधिक लहूलुहान थे। इस घटना के बाद गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा को हटाया गया। लेकिन गांधी परिवार में सम्मान पाने वाले करपात्री महाराज नाराज हो गए और इंदिरा गांधी को श्राप जे दिया। करपात्री महाराज ने यहां तक कह दिया था कि जो हाल साधुओं का हुआ है कुछ वैसा ही इंदिरा गांधी के साथ होगा।
जब अखिलेश यादव को मिला श्राप
हाल ही में नवंबर के महीने में योगी सरकार ने सोनम किन्नर को राज्य किन्नर कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाया। पदभार संभालने के बाद सोनम ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को श्राप दे दिया कि सपा की साइकिल पंचर हो गई है और उनका श्राप है कि अखिलेश यादव की सरकार दोबारा नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि सपा सारी कोशिश बेकार जाने वाली है, उसके अध्यक्ष व्यर्थ की मेहनत कर रहे हैं।
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