नई दिल्ली : राष्ट्रपति के कार्यालय की अवधि पांच साल की होती है (भारत के संविधान, अनुच्छेद 56)। भारत के वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को ख़त्म होने जा रहा है। चुनाव आयोग ने 15 जून 2022 को ही राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी थी। सत्तारूढ़ दाल एनडीए ने इस चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाया है और वहीं विपक्षी पार्टियों ने यशवंत सिन्हा को इस पद के लिए चुनाव में उतारा है।
राष्ट्रपति चुनाव हमारे आम चुनाव से थोड़ा अलग होता है, चलिए आगामी 10 आसान बिंदुओं में आपको इसकी पूरी कहानी समझाते हैं।
1. भारत में राष्ट्रपति का चुनाव जनता नहीं अपितु जनता द्वारा चुने गए सांसदों और विधायकों द्वारा किया जाता है। संसद के दोनों सदनों अर्थात लोकसभा और राज्यसभा के सांसद और सभी विधानसभाओं के विधायक राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालते हैं। राज्यसभा और विधानसभा के नामित (nominated) सदस्यों को इसमें वोट डालने का अधिकार नहीं होता है।
2. राष्ट्रपति चुनाव में सिंगल ट्रांसफरेबल सिस्टम का उपयोग होता है। अर्थात वोटर देता तो एक ही वोट है पर उसमे वह सभी कैंडिडेट्स में अपनी प्राथमिकता तय कर देता है. दूसरी प्राथमिकता की गणना की आव्यशकता तब पड़ती है जब प्रथम प्राथमिकता में टाई की स्थिति बन जाए।
3. चुनाव में उम्मीदवार के पास कोई चुनाव चिन्ह नहीं होता है। बैलट पेपर की सहायता से वोट डाले जाते हैं।
4. मतदान स्थल: संसद और सभी विधानसभाओं में राष्टपति चुनाव के वोट डाले जातें हैं।
5. आम चुनावों की तरह राष्ट्रपति चुनाव में सभी वोटों की कीमत (मान) सामान नहीं होती है। सांसदों और अलग-अलग राज्यों के विधायकों के मतों का मान एक निश्चित सूत्र द्वारा निकाला जाता है।
6. विधायकों के मतों का मान उस विशिष्ट राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय किया जाता है।
ABC राज्य के विधायक के मत का मान= ABC राज्य की जनसँख्या (1971 जनगणना)/1000* विधानसभा में निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या। चलिए अब उदहारण के तौर पर आँध्र प्रदेश राज्य को लेते हैं। 1971 जनगणना के अनुसार, आंध्र प्रदेश राज्य की जनसंख्या 2,78,00,586 है। आँध्र प्रदेश विधानसभा में 175 निर्वाचित सदस्य हैं। तो फिर वहां के एक विधायक में मत का मूल्य हुआ 159 (2,78,00,586/1000* 175=159)।
अलग-अलग राज्यों के विधायकों के मतों का मूल्य और वहां उस राज्य की कुल मतों का मूल्य निम्नलिखित हैं-
(Source: Election commission of India)
7. चलिए अब सांसद सदस्यों के मत का मान निकालते हैं। संसद में कुल सदस्य हैं, लोकसभा (543) + राज्य सभा (233) = 776।
एक सांसद के मत का मान निकलने के लिए हमें विधायकों के कुल वोटों के मूल्य को, कुल संसद सदस्यों के संख्या से भाग देना होगा। अर्थात (54321/776) = 700
राष्ट्रपति चुनाव में जो भी जटिलता थी वो बस यहीं इस सूत्र तक थी, इसके बाद की जो भी प्रक्रिया है वो हमारे आम चुनाव जैसी ही होती है, जिस कारण इसको समझना बहुत आसान हो जाता है।
8. उम्मीदवार को प्राप्त कुल मतों की संख्या उसको प्राप्त हुए कुल सांसदों के मूल्य और अलग अलग विधानसभाओं के विधायकों के कुल मूल्य को जोड़ कर निकाला जाता है।
9. आम चुनावों की तरह राष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा वोट प्राप्त करने वाला उम्मीदवार विजयी नहीं कहलाता अपितु राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए कुल विधिमान मतों (valid votes) का आधे से 1 अधिक प्राप्त करना जरूरी है। उदहारण के लिए मन लीजिए कुल विधिमान मतों (valid votes) का योग जाता है 1,000,001. ऐसे में जीत के लिए जरूरी मत होंगे =1,000,001/2 = 50000 + 1 = 50,001
वैसे इस बिंदु से हम राष्ट्रपति चुनाव में प्राथमिकता देने के मूल्य को भी समझ सकते हैं।
10. राष्ट्रपति चुनाव में सत्तारूढ़ दल एनडीए बहुमत के निशान से महज 0.05 फीसदी कम था। 21 जून 2022 को NDA ने द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाया। इसके बाद कुछ गैर NDA दलों ने भी द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन दे दिया। ऐसे कुछ खास दल हैं-
इन सब दलों के समर्थन के बाद NDA की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का जीतना लगभग तय हो गया है। आधिकारिक तौर पर देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा, इसकी तस्वीर तो 21 जुलाई को ही साफ होगी। विपक्ष के कई विधायकों ने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है। राष्ट्रपति के चुनाव के लिए के लिए 99 फीसदी सांसद और विधायकों ने वोट किया है।
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