नई दिल्ली: राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी पहल की है। कोर्ट ने भाजपा और कांग्रेस समेत 8 पार्टियों पर जुर्माना लगाया है। सभी 8 पार्टियों ने बिहार चुनाव के समय , उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक करने के आदेश का पालन नहीं किया था। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने तीखी टिप्पणी भी की है। कोर्ट ने कहा, 'राजनीतिक व्यवस्था के अपराधीकरण का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसकी शुद्धता के लिए आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को कानून निर्माता बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ' कोर्ट ने यह भी कहा कि हमारे हाथ बंधे हुए हैं। जाहिर है कि कोर्ट ने जुर्माना लगाकर राजनीतिक दलों पर न केवल "डंडा " चलाया है। बल्कि उन्हें आइना भी दिखाया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि विभिन्न पार्टियों में आपराधिक छवि वाले राजनेताओं की क्या स्थिति है-
मौजूदा लोकसभा की स्थिति
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार 2019 के अनुसार देश के 542 सांसदों में से 43 फीसदी सांसदों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस आधार पर 233 सांसदों पर आपराधिक मामला दर्ज है। इनमें से 159 सांसदों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसी तरह 2014 में 185 सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज थे। इसी तरह 2009 में 162 सांसदों पर आपराधिक मामला दर्ज था। यानी हर चुनाव के बाद आपराधिक रिकॉर्ड वाले सांसदों की संख्या बढ़ती जा रही है।
इसी तरह अगर पार्टी के आधार पर देखा जाय तो 2019 में लोकसभा चुनावों की स्थिति के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के 301 सांसदों में से 116 सांसद, कांग्रेस के 51 में से 29 सांसद, डीएमके के 23 सांसदों में से 10 सांसद, तृणमूल कांग्रेस के 22 में से 9 सांसद और जनता दल (यू) के 16 में से 13 सांसदों पर आपराधिक मामला दर्ज था।
किस तरह के अपराध- रिपोर्ट के अनुसार आपराधिक मामलों में करीब 29 फीसदी, बलात्कार, हत्या, हत्या की कोशिश और महिलाओं के खिलाफ अपराध दर्ज थे।
केरल, बंगाल चुनाव के बाद भी नहीं बदली स्थिति
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार मई 2021 में पांच राज्यों में हुए चुनावों में भी स्थिति में कोई सुधार होता नहीं दिखा है। रिपोर्ट के अनुसार केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, असम में कुल 822 विधायक चुनाव जीत कर आए। इसमें से सबसे ज्यादा केरल में 71 फीसदी विधायकों पर आपराधिक मामला दर्ज था। उसके बाद तमिलनाडु के 60 फीसदी, पश्चिम बंगाल 49 फीसदी, पुडुचेरी 43 फीसदी और असम के 27 फीसदी विधायकों पर आपराधिक मामला दर्ज था।
आगे की राह
मंगलवार को अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा, कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी, एलजेपी और सीपीआई पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया। वहीं, एनसीपी और सीपीएम पर पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने आदेश देने से पहले सख्त टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि बार-बार अपील करने के बावजूद राजनीतिक दलों ने नींद तोड़ने में रुचि नहीं दिखाई।
राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाने के साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि उन्हें अपने उम्मीदवारों का चयन करने के 48 घंटे के अंदर आपराधिक रिकॉर्ड पब्लिश करना होगा। सभी पार्टियों को अपने सभी उम्मीदवारों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर देनी होगी और दो अखबारों में भी प्रकाशित करानी होगी। इसके अलावा उम्मीदवार के चयन के 72 घंटे के अंदर उसकी रिपोर्ट चुनाव आयोग को भी देनी होगी।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।