उस तनोट माता' के मंदिर पहुंचे शाह जहां पाकिस्तान ने गिराए थे सैकड़ों बम, लेकिन एक भी नहीं फटा

देश
किशोर जोशी
Updated Sep 10, 2022 | 11:51 IST

Tanot Rai Mata Temple: बीएसएफ(BSF) की आराध्य मानी जाने वाली तनोट माता(Tanot Mata)का मंदिर पाक सीमा से सटे व जैसलमेर से करीब 120 किलोमीटर दूर है। आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंदिर के दर्शन कर यहां पर्यटन विकास केंद्र का भूमिपूजन किया।

Know the history of Tanot Rai Mata Temple in Jaisalmer Rajasthan where Amit Shah offers prayers today
सीमा सुरक्षा बल की आराध्य देवी मानी जाती है तनोट माता  |  तस्वीर साभार: ANI
मुख्य बातें
  • सीमा सुरक्षा बल की आराध्य देवी मानी जाती है तनोट माता
  • 1965 में माता मंदिर के इलाके में पाकिस्तान ने करीब 3000 बम गिराए थे, पर नहीं हुआ कोई नुकसान
  • अमित शाह ने यहां पर्यटन विकास केंद्र की आधारशिला रखी

Tanot Mata Mandir: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राजस्थान के दो दिवसीय दौरे पर शुक्रवार देर शाम जैसलमेर पहुंचे। वह सीमा सुरक्षा बल (BSF) के दाबला साउथ सेक्टर के मुख्यालय पहुंचे जहां वह बीएसएफ ऑफिसर्स इंस्टीट्यूट में रात बिताई। इसके बाद आज सुबह अमित शाह प्रसिद्ध तनोट माता मंदिर पहुंचे और वहां पूजा अर्चना की।  इसके बाद गृह मंत्री शाह ने तनोट परिसर में पर्यटन विकास केंद्र की आधारशिला रखी।  केंद्र सरकार द्वारा भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित तनोट माता मंदिर के लिए 17.67 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। जिसके तहत पर्यटन को विकसित करने की योजना है। बीएसएफ द्वारा यहां पर्यटकों के लिए शस्त्र प्रदर्शनी और फोटो गैलरी आदि की स्थापना की जाएगी। राज्य पर्यटन विभाग राज्य में सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहा था और केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय और बीएसएफ के साथ कई बैठकें कर चुका था।

तनोट माता मंदिर का इतिहास

कहते हैं ना कि ईश्वर में विश्वास अक्सर विपरीत परिस्थितियों में साहस जुटाने में मदद करता है। तनोट माता के मंदिर का भी कुछ ऐसा ही इतिहास है। राजस्थान के जैसलमेर जिले में भारत-पाक सीमा के पास एक गाँव है जहां यह मंदिर स्थित है। तनोट माता को देवी हिंगलाज का अवतार माना जाता है और यह मंदिर आठवी शताब्दी का है। 1965 के युद्ध में भारतीय सेना जब हथियारों के संकट से जूझ रही थी तो पाकिस्तना ने इसका फायदा उठाया और साडेवाला चौकी के आसपास बड़े क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। इसके बाद शुरू होती है तनोट मंदिर की एक ऐसी चमत्कारी कहानी जिसे जानकर आप भी हैरान होंगे।

बम हुए बेअसर

पाकिस्तान ने तनोट माता मंदिर के पास चौकी पर गोलीबारी शुरू कर दी लेकिन उसके द्वारा बरसाया गया एक भी बम में विस्फोट नहीं हुआ। कहा जाता है कि इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने तनोट माता मंदिर के इलाके में करीब 3000 बम गिराए  और सभी बेअसर साबित हुए तथा मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ। किवदंती है कि माता जवानों के सपने में आई थीं और उन्हें मंदिर के आसपास रहकर उनकी सुरक्षा करने का वादा किया था।

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बीएसएफ के पास है देख रेख का जिम्मा

प्रसिद्ध बॉलीवुड फिल्म बॉर्डर जो 1971 में लोंगेवाला की लड़ाई पर आधारित थी, उसमें दिखाया गया है कि कैसे भारतीय सेना के 120 जवानों ने 2000 पाकिस्तानी सैनिकों को टैंक स्क्वाड्रन से कुचल दिया था, यह भी दिखाया कि कैसे तनोट माता पर विश्वास ने सैनिकों को दुश्मन के खिलाफ भी अपनी आशा नहीं खोने दी। 1965 में भारत द्वारा पाकिस्तान को हराने के बाद, बीएसएफ ने मंदिर परिसर के अंदर एक चौकी की स्थापना की और तनोट माता की पूजा की जिम्मेदारी का कार्यभार संभाल लिया। मंदिर की देख रेख का जिम्मा अब बीएसएफ के पास है।

1971 के बाद

1971 के युद्ध के बाद, तनोट माता और उनके मंदिर की ख्याति ऊंचाइयों पर पहुंच गई और बीएसएफ ने उस स्थान पर एक संग्रहालय के साथ एक बड़े मंदिर का निर्माण किया जहां उन बिना फटे बम रखे गए जो पाकिस्तान की तरफ से फेंके गए थे। भारतीय सेना ने मंदिर परिसर के अंदर लोंगेवाला की जीत को चिह्नित करने के लिए एक विजय स्तम्भ का निर्माण किया और प्रत्येक वर्ष 16 दिसंबर को 1971 में पाकिस्तान पर शानदार जीत के स्मरणोत्सव के रूप में एक उत्सव मनाया जाता है।

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