सीबीआई की विशेष अदालत 1992 में मुगलकालीन बाबरी मस्जिद (Babri Demolition Case) ढहाए जाने के मामले पर बहुप्रतिक्षित फैसला बुधवार को सुनाने जा रही है, इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित 32 आरोपी हैं। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त हुए लगभग 28 साल हो चुके हैं। इस मामले को सालों तक खींचा गया है। 5 अक्टूबर 1993 को, सीबीआई ने आठ नेताओं सहित 40 लोगों के खिलाफ अपनी पहली चार्जशीट दायर की थी।
दो साल की जांच के बाद, सीबीआई ने 10 जनवरी 1996 को एक पूरक आरोप पत्र दायर किया, जिसमें बाबरी मस्जिद पर एक बड़ी साजिश और एक सुनियोजित हमले का आरोप लगाया गया था। उमा भारती और कल्याण सिंह कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर दो अलग अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। कल्याण सिंह जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब ही मस्जिद गिरायी थी, सिंह पिछले साल सितंबर में इस मामले की सुनवाई में शामिल हुये थे।
इससे पहले, इस साल अभियोजन पक्ष के गवाहों की परीक्षा पूरी होने के बाद, अदालत ने सीआरपीसी के 313 के तहत सभी आरोपियों के बयान दर्ज करने के लिए 4 जून की तारीख तय की थी। धारा 313 के तहत, एक न्यायाधीश अभियुक्त को परीक्षण के दौरान अदालत के सामने रखे गए सबूतों के आधार पर सवाल करता है, और आरोपी को परिस्थितियों और उसके खिलाफ आरोपों को समझाने का अवसर दिया जाता है।
अब लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत द्वारा 30 सितंबर, 2020 को इस मामले में अपना फैसला सुनाया जाना है।32 आरोपी ट्रायल पर हैं। इनमें प्रमुख हैं पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम कल्याण सिंह और अन्य भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार और साक्षी महाराज, और अन्य। 24 जुलाई को, बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत के सामने अपना बयान दर्ज किया, जिसमें मस्जिद को ध्वस्त करने की साजिश में किसी भी तरह की भागीदारी से इनकार किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि उनके नाम को मनगढ़ंत सबूतों पर चार्जशीट में शामिल किया गया था।
सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले की रोजाना सुनवाई की थी। केंद्रीय एजेंसी सीबीआई ने इस मामले में 351 गवाह और करीब 600 दस्तावेजी सुबूत अदालत में पेश किए। इस मामले में कुल 48 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था जिनमें से 17 की मामले की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो चुकी है।इस मामले में अदालत में पेश हुए सभी अभियुक्तों ने अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों को गलत और बेबुनियाद बताते हुए केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर दुर्भावना से मुकदमे दर्ज कराने का आरोप लगाया था।
लालकृष्ण आडवाणी
प्रोफेसर मुरली मनोहर जोशी
उमा भारती
भाजपा के राज्यसभा सांसद विनय कटियार
साक्षी महाराज
विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल,
गिरिराज किशोर
विष्णु हरि डालमिया
साध्वी ऋतंभरा
शिवसेना नेता बालासाहेब ठाकरे जिनका नाम उनके निधन के बाद हटा दिया गया था
13 आरोपियों में शामिल यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह जमानत पर बाहर हैं
कल्याण सिंह ने गत 13 जुलाई को सीबीआई अदालत में बयान दर्ज कराते हुए कहा था कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सियासी बदले की भावना से प्रेरित होकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।उन्होंने दावा किया था कि उनकी सरकार ने अयोध्या में मस्जिद की त्रिस्तरीय सुरक्षा सुनिश्चित की थी।
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