सिख समुदाय के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है करतारपुर साहिब 

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Updated Nov 06, 2019 | 14:50 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Kartarpur Corridor : रावी नदी के किनारे स्थित इस गुरुद्वारे का निर्माण गुरु नानक की याद में कराया गया। कहा जाता है कि सिख धर्म का प्रचार करने के बाद गुरु नानक देव करतारपुर में रावी नदी के तट पर रहने लगे।

Know why Kartarpur Sahib is significant for the Sikh community
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है दरबार साहिब गुरुद्वारा।  |  तस्वीर साभार: IANS
मुख्य बातें
  • नौ नवंबर को होगा करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन
  • इस बार मनाई जा रही है गुरु नानक देव की 550वीं जयंती
  • करतारपुर साहिब में गुजरा था गुरु नानक देव का अंतिम समय

नई दिल्ली : करतारपुर साहिब के नाम से मशहूर गुरुद्वारा दरबार साहिब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नारोवाल जिले में स्थित है। यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब तीन किलोमीटर दूर है और सिख समुदाय के पवित्र स्थलों में से एक है। ऐसा विश्वास है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष करतारपुर में गुजारे और यहीं पर उन्होंने 1539 में अपनी अंतिम सांस ली। दरबार साहिब गुरुद्वारा का धार्मिक महत्व तो है ही, यह भारत और पाकिस्तान की सीमा पर स्थित होने के कारण हमेशा चर्चा में रहता आया है।  

रावी नदी के किनारे स्थित इस गुरुद्वारे का निर्माण गुरु नानक की याद में कराया गया। कहा जाता है कि सिख धर्म का प्रचार करने के बाद गुरु नानक देव करतारपुर में रावी नदी के तट पर रहने लगे। वह इस स्थल पर खेती करते थे और सुबह एवं शाम अपना वक्त प्रार्थनाओं में गुजारते थे। कहा जाता है कि वर्षों बाद रावी नदी ने अपना बहाव और रास्ता बदला। नदी के रास्ता बदलने के कारण जिस स्थान पर 1539 में गुरु नानक का निधन हुआ, वह स्थान पाकिस्तान की तरफ चला गया जबकि गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक जहां वह रोजाना ध्यान लगाया करते थे वह स्थान भारतीय क्षेत्र में आ गया। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पाकिस्तान के शेखपुरा जिले के तलवंडी में हुआ था। इस जगह को अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। 

रावी नदी में बाढ़ आने पर करतारपुर साहिब का वास्तविक ढांचा एक बार नष्ट हो गया। इस ढांचे का पुनर्निमाण पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के दादा और पटियाला के तत्कालीन राजा भूपिंदर सिंह ने कराया। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद भारत से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए इस गुरुद्वारे को बंद कर दिया गया। 

भारत से सिख जत्था हर साल चार अवसरों बैसाखी, गुरु अर्जुन देव की शहादत, महाराजा रनजीत सिंह की पुण्यतिथि और गुरु नानक देव की जयंती के मौके पर पाकिस्तान की यात्रा करता है। भारत से आने वाले जत्था टेलीस्कोप के जरिए दरबार साहिब का दर्शन करता आया है। सिख श्रद्धालुओं की वर्षों से पाकिस्तान से मांग रही है कि वह दरबार साहिब का 'खुला दर्शन' की अनुमति दे। लोगों की भावनाओं को देखते हुए भारत ने वर्ष 1999 में सबसे पहले करतारपुर साहिब कॉरिडोर का प्रस्ताव रखा। हालांकि, इस प्रस्ताव पर पाकिस्तान ने तब कोई बड़ी पहल नहीं की लेकिन पिछले साल वह कॉरिडोर पर काम करने के लिए तैयार हुआ।

गत नवंबर में भारत और पाकिस्तान ने अपने-अपने क्षेत्र में कॉरिडोर की आधारशिला रखी। दोनों देशों ने अपनी तरफ 31 अक्टूबर तक कॉरिडोर का काम पूरा कर लिया। इस कॉरिडोर का उद्घाटन 9 नवंबर को होगा। पाकिस्तान की तरफ इस कॉरिडोर का उद्घाटन प्रधानमंत्री इमरान खान और भारत की तरफ उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे। गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व को देश और दुनिया के सभी गुरुद्वारों में धूमधाम से मनाने की व्यवस्था की गई है।

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