नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा उपचुनाव के नतीजों पर देश की नजर टिकी हुई है। दरअसल ये नतीजे इसलिए खास हैं कि अगर येदियुरप्पा सरकार 6 सीटों को जीतने में नाकाम रहती है तो कर्नाटक में बीजेपी का कमल मुरझा जाएगा। अगर बीजेपी 6 सीटों को जीतने में कामयाब होती है। कर्नाटक में बीजेपी के ही शब्दों में डबल इंजन की सरकार चलती रहेगी। सवाल ये है कि आखिर 6 सीटों पर ही सबकी नजर क्यों टिकी हुई है। कर्नाटक विधानसभा उपचुनाव के ट्रेंड से साफ है कि येदियुरप्पा सरकार आम लोगों के दिलों को जीतने में कामयाब हुई है। अब तक के परिणामों से स्पष्ट है कि बीजेपी न्यूनतम 6 सीट की जरूरत से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुये है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 15 बागी विधायकों की अर्जी पर फैसला देते हुए कहा था कि सदन में स्पीकर का फैसला सर्वोपरि होता है। लेकिन बागी विधायकों की लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है और इस तरह से बागी विधायकों के चुनाव लड़ने को हरी झंडी दिखा दी थी। कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायकों ने फैसला आने के बाद बीजेपी का दामन थाम लिया। इन उपचुनाव में सबसे ज्यादा सीटें बेंगलुरु रीजन की हैं, जिस पर बीजेपी की नजर टिकी है।
अगर कर्नाटक विधानसभा की मौजूदा तस्वीर की बात करें तो 15 सीटों पर चुनाव के साथ ही सदन की कुल संख्या 222 हो जाएगी। ऐसे में बीजेपी को सरकार में बने रहने के लिए 112 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। मौजूदा समय में बीजेपी के अपने कुल 105 विधायक हैं और एक निर्दलीय के समर्थन से पार्टी सरकार में हैं। अब जब सदन की संख्या में बढ़ोतरी होगी तो जाहिर है कि जादुई आंकड़ों की संख्या में भी इजाफा होगा।
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