Galwan Valley में पहले की स्थिति पर लौटने को तैयार हुए भारत-चीन, पैंगोंग सो में डटे हुए हैं PLA के जवान

India-China Standoff: भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव बना हुआ है। इस बीच सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत में दोनों पक्ष एक बार फिर से पीछे हटने के लिए तैयार हो चुके हैं।

Ladakh Galwan valley standoff India, China agree to agreed to Springs Pullback
Galwan Valley में पहले की स्थिति पर लौटने को तैयार भारत-चीन 
मुख्य बातें
  • पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच पिछले 2 महीनों से बना हुआ है तनाव
  • सैन्य स्तर की वार्ता में दोनों देश संघर्ष वाली जह से पीछे हटने को तैयार
  • 15 जून को हुई हिंसक झड़प में शहीद हो गए भारत के 20 जवान

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीचर पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी  (Galwan Valley) और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स इलाकों में चल रहा तनाव धीरे-धीरे कम होने के आसार नजर आ सकते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, दोनों देश इन इलाकों में शांतिपूर्ण हल के लिए तैयार हो गए हैं। दोनों देश अपनी सैन्य टुकड़ी को धीरे धीरे प्रमाणिक तरीके से पीछे हटाएंगे। इससे पहले भी इसी तरह की सहमति बनी थी लेकिन चीनी सैनिकों ने इसके उलट 15 जून को जो खूनी संघर्ष किया था उसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे जिसके बाद तनाव और ज्यादा गहरा गया था।

पैंगोंग त्सो में हालात जस के तस

 हालांकि, पैंगोंग त्सो (झील) में सैन्य टुकड़ी को रोकने में अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है, जहां पीएलए के सैनिकों ने बड़ी संख्या में किलेबंदी की है और साथ ही 'फिंगर -4 से 8 क्षेत्र तक कब्जा करने के बाद चीनी सैनिक यहां की सबसे ऊंची चोटी पर भी कब्जा किए हुए हैं। 

चरणबद्ध तरीके से पीछे हटने को तैयार

 टीओआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया  'दोनों पक्षों के  कोर कमांडरों के बीच 12 घंटे की मैराथन बैठक चली और दोनों ही देश तनाव को कम करना चाहते हैं तथा यहां से चरणबद्ध तरीके से पीछे हटने के लिए राजी है।'  यह बैठक 14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरेंद्र सिंह और दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिला प्रमुख मेजर नरल लियू लिन के बीच चुशूल में हुई। 6 जून के बाद यह इस तरह की तीसरी बैठक थी।

भारत रहेगा सतर्क

हालाँकि, यह एक लंबी-खींची जाने वाली प्रक्रिया होगी, जिसमें अभी तक बहुत सारे बदलाव किए जाने हैं। इसके अलावा, भारत इस बार बेहद सतर्क रहेगा और देखेगा कि चीन गलवान और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्रों में पैट्रोलिंग पॉइंट्स (पीपी) 14, 15 और 17 ए को खाली कर रहा है कि नहीं। सामरिक और रणनीतिक नजरिए से इन इलाकों को बेहद अहम माना जाता है। 

पहले धोखेबाजी कर चुका है चीन

 दरअसल चीन पहले भी धोखेबाजी कर चुका है जिसके बाद उस पर विश्वास करना इतना आसान नहीं होगा। 15 जून को गलवा वैली  में पीपी 14 के नजदीक भारत औऱ चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में कर्नल संतोष बाबू सहित भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। हालांकि इस दौरान 40 के करीब चीनी सैनिक भी हताहत/घायल हुए थे। चीन पीछे हटने की बात पहले भी मान चुकैा था लेकिन असल में उसने ऐसा किया नहीं।

प्रस्तावित डिसइंगेजमेंट योजना के मुताबिक, तनाव वाले इलाकों से विरोधी सेना के जवान चरणबद्ध तरीके से धीरे-धीरे ढ़ाई से तीन किलोमीटर पीछे हटेंगे। पीएलए ने अबी यहां 20 हजार से अधिक जवानों की तैनाती कर रखी है। 

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