लखनऊ : लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई हिंसा में मारे गए किसानों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मुआवजे, सरकारी नौकरी और न्यायिक जांच कराने की घोषणा की है। एडीजी (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने सोमवार को कहा कि सरकार हिंसा में मारे चार किसानों के परिवार को सरकारी नौकरी, 45 लाख रुपए का मुआवजा देगी। पुलिस अधिकारी ने कहा कि घायलों को 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जीएगी। किसानों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज होगी और हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज इस हिंसा मामले की जांच करेंगे। पुलिस अधिकारी ने कहा कि जिले में धारा 144 लागू होने की वजह से राजनीतिक दलों के नेताओं को लखीमपुर खीरी जाने की इजाजत नहीं दी गई है। हालांकि, किसान संघों के सदस्य यहां आ सकते हैं। पुलिस का कहना है कि घटना के दोषियों को वह आठ दिनों में गिरफ्तार करेगी।
रविवार की हिंसा में आठ लोगों की जान गई
रविवार को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य यहां एक जनसभा को संबोधित करने वाले थे लेकिन इसके पहले यहां हिंसा भड़क गई। इस हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की जान गई है। किसानों का आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र ने किसानों के ऊपर अपना वाहन चढ़ा दिया। वहीं, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र ने इस हिंसा के लिए उग्रवादियों एवं आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराया है। मिश्र ने इस हिंसा की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
योगी सरकार पर हमलावर है विपक्ष
लखीमपुर राजनीतिक अखाड़े का केंद्र बन गया है। विपक्ष योगी सरकार पर हमलावर है। लखीमपुर खीरी जाने वाले नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को सीतापुर के एक अतिथि गृह में रखा गया है। लखनऊ में अपने आवास के बाहर धरना दे रहे अखिलेश यादव को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है। प्रगतिशील समाज पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव लखीमपुर खीरी जा रहे थे पुलिस ने रास्ते में उन्हें भी रोककर हिरासत में लिया। आम आदमी पार्टी अपना एक शिष्टमंडल लखीमपुर खीरी भेजेगी।
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