26/11 हमला: भारत में मस्जिद देखकर बेसुध हो गया था कसाब, सोचता था- यहां लोग नमाज नहीं पढ़ते

देश
प्रभाष रावत
Updated Feb 18, 2020 | 16:58 IST

26/11 हमला करने वाले आतंकी अजमल आमिर कसाब को लगता था कि क्राइम ब्रांच में आती अजान की आवाज उसकी कल्पना है। मुंबई आतंकी हमलों में जिंदा पकड़ा गया वह अकेला आतंकी था।

Terrorist Ajmal Kasab
मुंबई हमले का दोषी अजमल आमिर कसाब 
मुख्य बातें
  • 26/11 हमले को 'हिंदू आतंकवाद' की तरह पेश करना जाहते थे साजिशकर्ता
  • कसाब को लगता था- भारत में नमाज पढ़ने पर है पाबंदी, अजान की आवाज को समझता था मानसिक भ्रम
  • पूर्व पुलिस कमिश्नर की किताब में मुंबई हमले और आतंकी कसाब को लेकर कई खुलासे

नई दिल्ली: मुंबई में 26/11 आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आतंकी अजमल आमिर कसाब को इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि भारत में मुसलमान नमाज भी पढ़ते हैं। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब - 'लेट मी से इट नाउ' में मुंबई हमले और कसाब के बारे में कई खुलासे किए हैं। किताब में, मारिया ने दावा किया है कि 26-11 के साजिशकर्ताओं ने मुंबई हमले को 'हिंदू आतंक' के मामले के तौर पर पेश करने की योजना बनाई थी।

इसके तहत कसाब को बेंगलुरु के हिंदू निवासी के तौर पर पेश करने की कोशिश की गई थी। कसाब को बेंगलुरु निवासी समीर दिनेश चौधरी नाम का आईडी कार्ड दिया गया था और उसके हाथ पर लाल धागा भी बांधा गया था। दावे के अनुसार आईएसआई ने दाऊद इब्राहिम को कसाब को मारने की सुपारी भी दी थी। लेकिन यह नापाक योजना कामयाब  नहीं हो सकी। किताब में यह भी दावा किया गया है कि कसाब को लगता था कि भारत में नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं है और यहां मस्जिद को देखकर वह हैरान रह गया था।

हिंदू आतंकी हमला दिखाने की कोशिश: पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी किताब में कहा है, 'कई टीवी चैनलों और अखबारों में इस तरह की कई सुर्खियां आई थीं जिनमें मुंबई हमले को हिंदू हमले की तरह दिखाया जा रहा था। लेकिन यह योजना कामयाब नहीं हो सकी और आतंकी की पहचान पाकिस्तान के फरीदकोट के रहने वाले अजमल आमिर कसाब के रूप में सबके सामने आ गई।'

लूटपाट के लिए लश्कर-ए-तैयबा में आया: पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी के अनुसार, कसाब डकैती और लूटपाट के इरादे से लश्कर-ए-तैयबा आतंकी संगठन में शामिल हुआ था और उसका जिहाद से कोई लेना-देना नहीं था। हालांकि, कसाब को पाकिस्तान में आतंकी साजिशकर्ताओं की ओर से भड़काया गया और उसके दिमाग में गलत धारणाएं डाली गईं। उसे बताया गया कि भारत में मुसलमानों को नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी जाती है। जब मेट्रो सिनेमा के पास एक मस्जिद में उसे ले जाया गया तो वह हैरान और बेसुध रह गया था।

मस्जिद देखकर रह गया हैरान: किताब के अनुसार, कसाब गंभीरता से इस बात पर भरोसा करता था कि मुसलमानों को भारत में नमाज़ नहीं पढ़ने दी जाती है और मस्जिदों को अधिकारियों की ओर से बंद कर दिया गया है। उसे लगता था कि दिन में पांच बार क्राइम ब्रांच के लॉकअप में उसे सुनाई देने वाली अजान की आवाज उसके दिमाग की ही कल्पना है। जब मारिया को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने आतंकी को एक वाहन में मेट्रो सिनेमा के पास मस्जिद में ले जाने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया।

हमले से पहले मिले रुपए और छुट्टी: मारिया ने यह भी कहा कि रोजाना पूछताछ के बाद कसाब और उनके बीच एक अलग तरह का रिश्ता जैसा बन गया था। मुंबई में हमले के लिए भेजने से पहले कसाब को 1.25 लाख रुपए और एक हफ्ते की छुट्टी आतंक के आकाओं की ओर से दी गई थी। उसने बहन की शादी के लिए यह रकम अपने परिवार को दे दी थी।

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