नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) पूरी तरह से दो गुटों में बंट चुकी है। पशुपति कुमार पारस ने चिराग पासवान द्वारा बुलाई गई समिति की बैठक से एक दिन पहले नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा कर दी है। उनके गुट ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पहले ही घोषित कर दिया है।
पारस ने आठ सदस्यों के नामों की घोषणा की जो नई कार्यकारिणी का हिस्सा होंगे। पारस के नेतृत्व में लोजपा गुट ने राष्ट्रीय, राज्य कार्यकारिणी और विभिन्न प्रकोष्ठों की समितियों को भंग कर दिया है। सांसद चौधरी महबूब अली कैसर और वीना देवी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और सांसद प्रिंस राज और चंदन सिंह को राष्ट्रीय महासचिव घोषित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि लोजपा में आंतरिक विवाद गहरा गया है। हाल ही में पार्टी के छह सांसदों में पांच सांसदों ने अलग गुट बना लिया है। इधर, लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान ने पांचों सांसदों पशुपति पारस, महबूब अली कैसर, बीणा देवी चंदन सिंह और प्रिंस राज को पार्टी से बाहर निकाल दिया है। पारस गुट ने चिराग को अध्यक्ष पद से हटा दिया है।
इस बीच, शुक्रवार को चिराग पासवान के नेतृत्व में एलजेपी के एक अन्य प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले दूसरे गुट द्वारा पार्टी पर किसी भी दावे पर निर्णय लेने से पहले उसका विचार जानने का आग्रह किया। दोनों गुटों के प्रतिनिधि लोजपा के नेतृत्व के लिए अपना-अपना दावा पेश करने के लिए चुनाव आयोग मुख्यालय पहुंचे थे।
पार्टी पर किसका दावा
पशुपति पारस के नेतृत्व वाले गुट ने एक ज्ञापन सौंपा जिसमें कहा गया कि पारस को पटना में पार्टी कार्यकारिणी के 75 सदस्यों की बैठक में चुना गया और एक नई कार्य समिति का गठन किया गया है। इस प्रकार, दोनों मान्य हैं। दूसरी ओर पासवान ने दावा किया कि 'विद्रोही' पार्टी के संविधान के खिलाफ गए थे। चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के पार्टी अध्यक्ष के चुनाव को खारिज करते हुए कहा कि पटना में आयोजित बैठक असंवैधानिक थी और इसमें राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्यों की न्यूनतम उपस्थिति भी नहीं थी। लोजपा महासचिव अब्दुल खालिक ने कहा कि पारस और पार्टी के चार अन्य सांसदों द्वारा चिराग पासवान को पद से हटाने के बाद संगठन में फूट के बीच पासवान के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पहले के चुनाव की प्रतिपुष्टि करने के लिए रविवार को राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होगी।
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