नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा से मंजूरी मिल चुकी है, अब इस बिल को राज्यसभा में रखा जाएगा। सोमवार को लोकसभा में इस मुद्दे पर करीब सात घंटे तक बहस हुई। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस बिल की वजह से पूर्वोत्तर में रहने वालों के लिए किसी तरह की परेशानी नहीं है। लेकिन असम में इस बिल का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है।
असम के डिब्रूघाट में लोग सड़कों पर उतरे और केंद्र सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि इस बिल के जरिए राज्य की पहचान खत्म हो जाएगी। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार के इस कदम से सामाजिक ताने बाने पर असर पड़ेगा। ये बात अलग है कि गृहमंत्री ने आश्वास्त किया है कि किसी को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।
बता दें कि सोमवार को लोकसभा में इस बिल को पेश किए जाने से पहले त्रिपुरा में विरोध प्रदर्शन हो रहा था। संसद परिसर में एआईयूडीएफ के सांसद बदरुद्दीन अजमल ने बैनर के साथ विरोध किया था जिस पर लिखा था कि असम इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। ये बात अलग है कि बिल के पेश होने के समय ही सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि किसी को डरने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि देश ने देखा कि किस तरह से पार्टी ने इस असंवैधानिक बिल का विरोध किया। कांग्रेस का स्पष्ट मत है कि इस बिल से सामाजिक समरसता प्रभावित होगी।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।