नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में आज से शुरू हो रहे विधान सभा सत्र को देखते हुए, विधायकों के लिए नया फरमान निकालने की तैयारी है। वह अब सदन की कार्यवाही के दौरान अन्याय, ससुर, पप्पू, बेचारा, भ्रष्ट, निकम्मा जैसे शब्द और खोदा पहाड़ निकली चुहिया, भैंस के आगे बीन बजाओ, लगे रहो मुन्ना भाई जैसे मुहावरे नहीं बोल पाएंगे। या उनके इस्तेमाल पर बेहद सावधानी बरतनी होगी। विधान सभा सचिवालय ने ऐसे 1100 से ज्यादा शब्दों का चयन किया है। जिसे असंसदीय माना गया है। इस संबंध में एक 38 पेज की बुकलेट भी जारी की गई है। जिसे सभी विधान सभा सदस्यों को दिया जाएगा। और उनसे उम्मीद की जाएगी कि वह अपने वक्तव्यों में इन शब्दों और मुहावरे का इस्तेमाल नहीं करें। हालांकि सरकार के इस कदम पर विपक्ष का यह मानना है कि ऐसे कई शब्द हैं जिनका इस्तेमाल किए बिना, सरकार की नाकामियों या उसे प्रभावी ढंग से कठघरे में खड़ा करना आसान नहीं होगा। साथ ही यह शब्द और मुहावरे असंसदीय भी नहीं लगते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि सूची पर पुनर्विचार किया जाए।
इन प्रमुख शब्दों को माना गया असंसदीय
अन्याय,ससुर,पप्पू, बेचारा, भ्रष्ट,निकम्मा,चोर,बंटाधार, ढोंगी, गुंडे, दिक्कत, गलत, भेदभाव, यार, बंधुआ मजदूर, बेचारा जैसे शब्द बोलते समय उनके इरादे पर भी ध्यान देना होगा।
ये मुहावरे भी असंसदीय
बजट में खोदा पहाड़ निकली चुहिया, भैंस के आगे बीन बजाना, आपको भगवान की कसम है, लगे रहो मुन्ना भाई, घड़ियाली आंसू मत बहाइए जैसे मुहावरों को शामिल किया गया है।
पुनर्विचार की जरूरत
नए निर्देशों पर मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है "देखिए इन शब्दों को सदन ने आम सहमति से तैयार किया है। लेकिन मुझे लगता है कि सूची में कई ऐसे शब्द हैं, जिनमें कुछ भी असंसदीय नहीं है। ऐसे में एक बार सूची पर फिर से विचार करना चाहिए। एक बात हमें समझना होगा कि सरकार की नाकामियों को प्रभावी ढंग से समझाने के लिए मुहावरों और शब्दों का इस्तेमाल होता है। अगर उन्हें ही रोक दिया जाएगा तो बात उतनी प्रभावी नहीं रह जाएगी।"
1954 से 2021 तक के शब्द हैं शामिल
विधान सभा भवन की तरफ से जारी इस बुकलेट में साल 1954 से लेकर 2021 तक के चयनित किए गए शब्दों को शामिल किया गया है। बुकलेट के विमोचन पर मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा नई बुकलेट से विधान सभा के सदस्यों को चीजों को समझने और उनके बेहतर इस्तेमाल में मदद मिलेगी। बुकलेट में 1954 से लेकर 2021 के बीच जिन भी शब्दों को असंसदीय माना गया है, उन्हें शामिल किया गया है। हालांकि अभी तक इसके लिए अलग से बुकलेट नहीं जारी की गई थी। न ही प्रत्येक सदस्यों को इन शब्दों का संकलन दिया गया था।
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