नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत नरेंद्र गिरि ने अपने मठ बाघंबरी गद्दी में सोमवार की शाम कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। महंत के शिष्यों के मुताबिक, घटना के समय दरवाजा भीतर से बंद था और उन्होंने दरवाजा तोड़कर उन्हें फंदे से उतारकर जमीन पर लिटाया। घटनास्थल से सात-आठ पेज का सुसाइड नोट भी मिला है जिसमें महंत ने अपने आश्रम के बारे में क्या करना है, एक तरह से वसीयतनामा लिखा है।
पत्र में आनंद गिरि का भी जिक्र है। इस पर आनंद गिरि ने कहा है कि महंत नरेंद्र गिरि की हत्या की गई है। साजिश के तहत उनकी हत्या की गई है। पुलिस भी साजिश में शामिल हो सकती है। गुरुजी कभी सुसाइड नहीं कर सकते। गुरुजी को ब्लैकमेल किया जा रहा था। मठ का पैसा लेने वालों ने उनकी हत्या की। वो जीवन में कभी भी पत्र नहीं लिख सकते थे। उनकी लिखावट की जांच की जानी चाहिए। मेरे और उनके बीच कोई मतभेद नहीं था। मैंने अपना पूरा जीवन वहीं बिताया है और कभी कोई पैसा नहीं लिया। मैं सरकार से इस मामले की पूरी जांच करने का अनुरोध करता हूं।
केपी सिंह, आईजी प्रयागराज ने कहा कि बिना जांच के कुछ नहीं कह पाऊंगा। हमें आश्रम से फोन आया कि महाराज ने पंखे से लटक कर फांसी लगा ली है। प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला है। मैं आप सभी से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं। हमें एक सुसाइड नोट भी मिला है जिसमें उन्होंने उल्लेख किया है कि आत्महत्या से उनका निधन हुआ है और वह अपने एक शिष्य से नाखुश था। हम मामले की जांच कर रहे हैं। हम इसकी फॉरेंसिक जांच के बाद सुसाइड नोट जारी करेंगे।
एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा कि जानकारी मिली थी कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत आत्महत्या से हुई है। शिष्यों ने पुलिस को बताया कि दोपहर करीब 3-4 बजे उन्होंने दरवाजा तोड़ा जो अंदर से बंद था और उन्हें लटका हुआ पाया गया। तत्काल पुलिस फॉरेंसिक व अन्य टीमों के साथ वहां पहुंच गई। एक सुसाइड नोट बरामद किया गया जिसमें उन्होंने आनंद गिरी और दो अन्य पर इस कदम के लिए आरोप लगाया है। उत्तराखंड पुलिस की मदद से आनंद गिरी को हरिद्वार से हिरासत में लिया है और आगे की जांच जारी है।
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