महाराष्ट्र के पुणे शहर में कमांड अस्पताल दक्षिणी कमान (सीएचएससी) में एक ब्रेन डेड महिला के अंगदान की वजह से पांच लोगों को नया जीवन मिला है। जीवनदान पाने वाले इन लोगों में दो सेना के जवान भी हैं।
रक्षा जन संपर्क अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "एक युवा ब्रेन-डेड महिला की ओर से किए गए अंगदान ने पुणे में सीएचएससी में सेना के दो सेवारत सैनिकों सहित पांच लोगों की जान बचाई है।"
अफसर के अनुसार, एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद महिला को उसके जीवन के अंतिम चरण में अस्पताल लाया गया था। अस्पताल में भर्ती होने तक उसका ब्रेन-डेड हो चुका था। उसके परिवार की इच्छा थी कि महिला के अंगों को उन रोगियों को दान कर दिया जाए, जिन्हें उनकी सख्त जरूरत है।
उन्होंने आगे बताया, "किडनी जैसे व्यवहार्य अंगों को भारतीय सेना के दो सेवारत सैनिकों में प्रत्यारोपित किया गया, आंखों को सीएच (एचसी) - आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज परिसर के आई बैंक में संरक्षित किया गया और लीवर को रूबी हॉल क्लिनिक (पुणे) में एक मरीज को दे दिया गया।
34 साल की यह महिला हाल ही में सेना से रिटायर हुए एक फौजी की पत्नी थी। गुरुवार को उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था और इसबके बाद उसके परिजन उनके अंगदान के लिए रजामंद हो गए थे।
अस्पताल में इसके बाद लेफ्टिनेंट कर्नल भास्कर दत्त, लेफ्टिनेंट कर्नल सुदीप प्रकाश, सर्जन कर्नल भरत और लेफ्टिनेंट कर्नल अभिषेक शुक्ला, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट लेफ्टिनेंट कर्नल अखिल गोयल सहित कमांड अस्पताल में ट्रांसप्लांट टीम एक्टिव हो गया था और जोनल ट्रांसप्लांटेशन कॉर्डिनेशन सेंटर (क्षेत्रीय प्रत्यारोपण समन्वय केंद्र) और आर्मी ऑर्गन रीट्रिवल एंड ट्रांसप्लांट अथॉरिटी (सेना अंग पुनर्प्राप्ति व प्रत्यारोपण प्राधिकरण) को इस बाबत अलर्ट भेज किया गया था।
ब्रिगेडियर गोयल ने अंग्रेजी अखबार 'दि इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि देश में कम से कम दो लाख ऐसे लोग हैं, जिन्हें विभिन्न कारणों से अंग प्रत्यारोपण की जरूरत है। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि 10% से भी कम रोगियों को अंग मिलते हैं।
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