नई दिल्ली: वो तारीख थी...1 दिसंबर 2019 और वक्त था..दोपहर 2 बजकर 54 मिनट, जगह थी महाराष्ट्र विधानसभा। तब देवेन्द्र फडनवीस ने कहा था- मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना, मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं, लौट कर वापस आऊंगा। ठीक 930 दिन बाद ऐसी तस्वीर आई जब पूरे शोर शराबे के साथ समंदर लौट आया है। वक्त भले ही 930 दिन का लगा लेकिन वो लौटा और ऐसे लौटा की उसके किनारे घर बसाने वालों के घरों को उजाड़ दिया। बीजेपी के कैंप में जश्न फुल वॉल्यूम मनाया गया। नारे बाजी हुई।महाराष्ट्र का नेता कैसा हो। खबर के मुताबिक महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में देवेन्द्र फडनवीस 1 जुलाई को शपथ लेंगे।
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10 दिन का सियासी महायुद्ध का THE END हो गया। महाविकास अघाड़ी सरकार की गाड़ी पर ब्रेक लग गया। उद्धव ठाकरे भी ये कहते हुए विदा हुए कि लौटकर आऊंगा। इन सब बातों के बीच इस सियासी महायुद्ध में दो लोगों का कद सियासत में बहुत ऊंचा हो गया। एक वो जिन्होंने कहा था मैं समंदर हूं लौटकर आऊंगा यानी बीजेपी के देवेन्द्र फडनवीस और दूसरे शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे।जिन्होंने अपनी पहचान अब असली शिवसेना के रूप में स्थापित कर ली है।
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल सीट 288 हैं और विधायक 287 हैं चूंकि एक सीट खाली है। 2019 में जब चुनाव हुए तब शिवसेना ने 55 सीटों पर जीत हासिल की। एकनाथ शिंदे समेत 40 विधायकों की बगावत के बाद शिवसेना की गिनती सिर्फ 15 रह गई। बीजेपी के पास अपने विधायक 106 हैं। शरद पवार की NCP के पास 53 विधायक और शिंदे कैंप के 40 विधायकों के साथ 9 और विधायक शामिल हुए।कांग्रेस के पास 44 विधायक हैं, निर्दलीय विधायकों में 13 महा विकास अघाड़ी के समर्थन में हैं और 7 बीजेपी के समर्थक हैं। 10 दिन के इस सियासी महासंग्राम के बाद महा विकास अघाड़ी सरकार 125 विधायकों के साथ अल्पमत में चली गई जबकि बीजेपी 162 विधायकों के साथ बहुमत में पहुंच गई।
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