Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे फेसबुक के माध्यम से जनता को संबोधित किया। उन्होंने बागी विधायकों से कहा कि अगर वो नहीं चाहते हैं तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं, मैं शिवसेना प्रमुख के पद से भी इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। कई लोग शिवसेना पर सवाल उठा रहे। कुछ लोग कहते हैं कि यह बाला साहब की शिवसेना नहीं है। उन्हें बताना चाहिए कि बाला साहब के विचार क्या थे। ये वही शिवसेना है जो उनके जमाने में थी 'हिंदुत्व' ही हमारी जान है। आदित्य और एकनाथ शिंदे अयोध्या गए थे। हमने हिंदुत्व के लिए जो किया है, उसके बारे में बात करने का यह समय नहीं है। शिवसेना हिंदुत्व से अलग नहीं है। 2014 में भी शिवसेना अकेले चुनाव लड़ी थी। हिंदुत्व और शिवसेना एक ही हैं। हम बाला साहेब के सिद्धांतों पर ही चल रहे हैं। बाला साहेब के विचारों से अलग नहीं हैं। उनकी विचारधारा से ही आगे बढ़ रहे हैं।
मैं बागी विधायकों पर बात नहीं करूंगा। शिवसेना को जनता का समर्थन है। राज्य में बिना अनुभव के कोविड से लड़ा। पूरी तरह से ईमानदारी से काम किया। कई विधायक हमें फोन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि हम लौट आएंगे। शरद पवार ने कहा कि मुझे सीएम बनना चाहिए। मैं सदमे में हूं। अगर कांग्रेस और एनसीपी ने कहा कि वे मुझे सीएम के रूप में नहीं चाहते हैं, तो यह समझ में आता है। लेकिन कमलनाथ, शरद पवार ने कहा कि वे मेरे साथ हैं। शरद पवार और सोनिया गांधी ने मेरी बहुत मदद की, उन्होंने मुझ पर अपना विश्वास बनाए रखा। लेकिन अगर मेरे ही लोग नहीं चाहते कि मैं सीएम बनूं, तो मैं क्या करूं? अगर कोई विधायक चाहता है कि मैं मुख्यमंत्री नहीं रहूं, तो मैं अपना सारा सामान वर्षा बंगले (मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास) से मातोश्री ले जाने के लिए तैयार हूं। मुझे किसी पोस्ट से कोई लगाव नहीं है। मैं बालासाहेब ठाकरे का बेटा हूं। विधायक मुझसे मिल सकते थे। सूरत जाने की क्या जरूरत थी। अगर नहीं चाहते हैं तो मैं मुख्यमंत्री पद छोड़ देता हूं। अगर मेरा काम नहीं पसंद तो मेरे मुंह पर कह देते। मैं अपना इस्तीफा लिख रहा हूं। मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। अगर आप मुझसे कहें कि मैं शिवसेना का नेतृत्व करने में अक्षम हूं, तो मैं सेना प्रमुख का पद भी छोड़ दूंगा। या तो आओ या मुझे कॉल करो। मुझे बताएं और मैं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पद छोड़ने को तैयार हूं। सीएम पद महत्वपूर्ण नहीं है।
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उनकी गठबंधन वाली सरकार संकट में है। शिवसेना में बगावत हो गई है। एकनाथ शिंदे के साथ 30 से ज्यादा विधायक हैं। ऐसे में सरकार के साथ-साथ शिवसेना पार्टी भी संकट में है। इस बीच एकनाथ शिंदे का दावा है कि उनके साथ शिवसेना के चालीस से ज्यादा बागी विधायक साथ में हैं। 34 विधायकों के साइन के साथ शिंदे ने राज्यपाल और डिप्टी स्पीकर को चिट्ठी भेजी है। शिंदे ने अपना शक्ति परीक्षण उद्धव ठाकरे को दिखा दिया है।
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इससे पहले आज उद्धव ठाकरे ने कैबिनेट बैठक बुलाई। कैबिनेट की इस बैठक में शिवसेना का कोई भी मंत्री ही नहीं पहुंचा। शिवसेना और सहयोगियों के कुल 8 मंत्री शामिल नहीं हुए। इस कैबिनेट बैठक से पहले शिवसेना विधानसभा भंग करने की बात कर रही थी लेकिन बैठक में विधानसभा भंग करने का कोई प्रस्ताव पास नहीं किया गया। शिंदे अपने साथ चालीस से ज्यादा विधायकों का दावा पेश कर रहे हैं। अगर शिंदे गुट बीजेपी के साथ हाथ मिला लेता है तो महाअघाड़ी सरकार अल्पमत में आ जाएगी और बीजेपी सरकार बना सकती है।
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