नई दिल्ली। उद्धव ठाकरे, महाराष्ट्र के सीएम हैं। लेकिन वो किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। वैधानिक तौर पर शपथ लेने के 6 महीने के अंदर सदन का सदस्य होना आवश्यक है। इस हिसाब से उद्धव ठाकरे को 28 मई से पहले विधायक होना अनिवार्य है। लेकिन महाविकास अघाड़ी का आरोप है कि राज्यपाल महोदय अड़चने पैदा कर रहे हैं। इस संबंध में उद्धव ठाकरे की बात पीएम मोदी से हुई। उन्होंने कहा कि वो पीएम से मदद मांग रहे हैं,अगर ऐसा नहीं होता है तो उन्हें इस्तीफा देना होगा। जवाब में पीएम ने कहा कि वो इस मामले में विस्तृत जानकारी ले रहे हैं और देखेंगे।
नॉमिनेशन के जरिए एमएलसी बनने की कोशिश
बताया जा रहा है कि उद्धव ठाकरे को एमएलसी नॉमिनेट करने के लिए दो बार राज्यपाल के पास प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने प्रस्ताव पर फैसला नहीं लिया है। इस तरह के हालात से परेशान होकर सीएम उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी को फोन कर हस्तक्षेप की मांग की। बुधवार को उद्धव ठाकरे ने पीएम से बात की और कहा कि जानबूझकर राज्य में राजनैतिक अस्थिरता पैदा की जा रही है।
राज्यपाल की तरफ से हरी झंडी का अभी भी इंतजार
बता दें कि 9 सीटों के लिए इसी महीने की 24 तारीख को चुनाव होना था। लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से चुनाव स्थगित करने का फैसला चुनाव आयोग ने लिया। अब ऐसे में सीएम उद्धव ठाकरे चाहते हैं कि गवर्नर जिन दो सीटों के लिए किसी सदस्य को नामित करता है,उसी प्रक्रिया के तहत उद्धव को नामित कर दे। लेकिन अभी तक गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने फैसला नहीं लिया है।
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