नई दिल्ली। 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा के लिए वोटों की गिनती में जनादेश बीजेपी और शिवसेना के पक्ष में आ चुका था। लेकिन महाराष्ट्र में कोई सरकार नहीं है बल्कि राष्ट्रपति शासन है। सरकार बनाने की कवायद में बीजेपी और शिवसेना के बीच 50-50 का पेंच नहीं सुलझ सका। 8 नवबंर को देवेंद्र फडणवीस ने अपने पद से इस्तीफा देते हुए कहा कि संख्या बल उनके पक्ष में नहीं है। बीजेपी के मना करने के बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का मौका दिया। लेकिन शिवसेना आवश्यक 145 के आंकड़े को पेश करने में नाकाम रही।
शिवसेना की नाकामी के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी एनसीपी को मौका दिया गया। लेकिन राज्यपाल इस निष्कर्ष पर पहुंचे की कोई भी पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है। इस पृष्ठभूमि में राज्यपाल ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपी जिसमें राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई। राज्यपाल की गुजारिश पर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। लेकिन इस मामले में विपक्षी दल गवर्नर के फैसले की आलोचना कर रहे हैं और मामला सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक जा पहुंचा।गवर्नर के फैसले के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट में है जहां उसकी याचिका पर सुनवाई होनी है। इस बीच कांग्रेस ने राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है।
अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि राजनीति चलती रहेगी। लेकिन सीएम शिवसेना का ही होगा। बीजेपी कितनी भी कोशिश कर ले कामयाबी नहीं मिलने वाली है।
कांग्रेस ने एनसीपी नेताओं से बातचीत के लिए एक समिति बनाने का ऐलान किया है जिसमें अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण, मानिकराव ठाकरे, बालासाहेब थोराट शामिल और विजय वाडिटिवार शामिल हैं। इस बीच कांग्रेस के नेता अस्पताल में शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत से मिले।
अजीत पवार ने कहा कि बुधवार को एनसीपी नेता जयंत पाटिल महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बाला साहेब थोराट से मिलेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि जहां तक शिवसेना से बातचीत का सवाल है उनके साथ वार्ता तब की जाएगी जब हम सब साझा घोषणापत्र बना लेंगे क्योंकि शिवसेना का मैनिफेस्टो अलग है। पहले हमें इस विषय पर कांग्रेस से चर्चा करना जरूरी है।
एनसीपी नेताओं की बैठक मुंबई में खत्म हो गई है। बैठक के बाद अजीत पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की ताजा राजनीतिक तस्वीर पर पार्टी का स्टैंड साफ है। राज्यपाल को अतिरिक्त समय देना चाहिए था। इन सबके बीच शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ
अजीत पवार ने कहा कि तीन दिन तक समय बढ़ाने के लिए एनसीपी ने राज्यपाल से समय मांगा था क्योंकि कांग्रेस के नेता महाराष्ट्र में मौजूद नहीं थे। हम सरकार गठन के लिए कुछ अतिरिक्त समय की मांग कर रहे थे।
अजीत पवार का कहना है कि अहमद पटेल बता चुके हैं कि कांग्रेस हाईकमान का फैसला क्या है। उन्होंने कहा कि वो पूरे महाराष्ट्र को बताना चाहते हैं कि अगर शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी से कोई विधायक पाला बदल करता है कि तो बाइपोल में उसे सबक सिखाने के लिए सभी दल एक साथ आएंगे।
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की वामपंथी दलों ने कड़ी आलोचना की। सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी का कहना है कि उनकी पार्टी गवर्नर की रिपोर्ट का न केवल विरोध करती है बल्कि केंद्र सरकार के फैसले के समर्थन में नहीं है।
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